नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से भारत में आने की इजाजत देने का निर्देश नहीं दे सकता है।
सरकार ने कहा कि जिन लोगों के पास वैध यात्रा दस्तावेज होंगे, उन्हें ही प्रवेश की मंजूरी दी जाएगी और यही राष्ट्र हित में भी है।
गृह मंत्रालय ने यह हलफनामा उन आरोपों पर कोर्ट में दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा बल रोहिंग्या मुसलमानों को जबरदस्ती वापस खदेड़ रहे हैं और इसके लिए मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार ने इन आरोपों को भी खारिज किया। हलफनामे में कहा गया है कि देश घुसपैठियों की समस्या से जूझ रहा है। देश में आतंकवाद के फैलने का भी यह एक वजह है।
आतंकवाद के चलते सैकड़ों निर्दोष लोगों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई है। ऐसे में देश की सीमा को सुरक्षित बनाए रखना नितांत आवश्यक है। ऐसे में कोर्ट को न तो केंद्र और न ही राज्यों को इस संदर्भ में कोई निर्देश देना चाहिए।
पहचान पत्र जारी करने से इनकार
रोहिंग्या मुसलमानों को पहचान पत्र देने की मांग पर मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि यह नीति से जुड़ा मामला है।
इसके साथ ही उसने शरणार्थियों को पहचान पत्र जारी करने से इनकार कर दिया। उसने यह भी कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों और श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों में अंतर है।
भारत और श्रीलंका के बीच हुए द्विपक्षीय संधियों के तहत तमिल शरणार्थियों को देश में प्रवेश की इजाजत मिली हुई है।