हमारी सच्ची सफलता बाबासाहेब के मूल्यों और आदर्शों के अनुसार एक समाज और राष्ट्र का निर्माण करने में हैः राष्ट्रपति कोविंद

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नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारी सच्ची सफलता बाबासाहेब के मूल्यों और आदर्शों के अनुसार एक समाज और राष्ट्र का निर्माण करने में है। उन्होंने कहा कि हमने इस दिशा में प्रगति की है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। वे आज (29 जून 2021) लखनऊ में डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र के शिलान्यास समारोह में बोल रहे थे।

राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के बहु-आयामी व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में उनके बहुमूल्य योगदान से उनकी असाधारण क्षमता और योग्यता का परिचय मिलता है। डॉ. आंबेडकर न केवल एक शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज-सुधारक थे, बल्कि उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहेब के विजन की चार सबसे महत्वपूर्ण बातें नैतिकता, समानता, आत्मसम्मान और भारतीयता है। इन चारों आदर्शों तथा जीवन मूल्यों की झलक बाबा साहब के चिंतन एवं कार्यों में दिखाई देती है। उनकी सांस्कृतिक सोच मूलतः समानता पर आधारित थी। डॉ. आंबेडकर ने भगवान बुद्ध के विचारों का प्रसार किया। उनके इन प्रयासों के मूल में करुणा, बंधुता, अहिंसा, समता और पारस्परिक सम्मान जैसे भारतीय मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने और सामाजिक न्याय के आदर्श को कार्यरूप देने का लक्ष्य था। भगवान बुद्ध का करुणा और सद्भाव का संदेश उनके जीवन और राजनीति का आधार था। बाबासाहेब ने नैतिकता और सद्भाव के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित राजनीति की आवश्यकता पर बल दिया। वह कहते थे कि मैं पहले एक भारतीय हूं, उसके बाद में एक भारतीय और आखिर में एक भारतीय हूं।

राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहेब हमेशा महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने के पक्षधर थे। उनके द्वारा तैयार किए गए संविधान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर ही समानता का मौलिक अधिकार दिया गया है। डॉ. आंबडेकर चाहते थे कि समानता के इस मौलिक अधिकार को संपत्ति के उत्तराधिकार व विवाह और जीवन के अन्य पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर भी एक अलग विधेयक द्वारा स्पष्ट कानूनी आधार दिया जाए। आज हमारी कानूनी व्यवस्था महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकार जैसे कई मुद्दों पर उनके बताए रास्ते पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि बाबासाहेब की दूरदर्शी सोच अपने समय से काफी आगे थी।

राष्ट्रपति ने कहा कि लखनऊ में बाबासाहेब के स्मारक के रूप में सांस्कृतिक केन्द्र के निर्माण की उत्तर प्रदेश सरकार की पहल सराहनीय है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निर्माण पूरा होने पर यह सांस्कृतिक केंद्र सभी नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी को डॉ. आंबेडकर के आदर्शों और उद्देश्यों के बारे में शिक्षित करने में एक प्रभावी भूमिका निभाएगा।