उम्मीद छोड़ चुके अभिभावकों में जीवन का संचार किया चिरायु ने

कोरिया: बचपन में यदि किसी बालक को हृदय सहित कई अन्य गंभीर रोग हेा जाये तो उसका बचपन छिन जाता है, और यदि माता पिता आर्थिक रूप से कमजोर हो और ऐसे पीड़ित बच्चों का ईलाज समय पर न करा सकें तो बच्चे की जान भी मासुम अवस्था में चली जाती है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु ऐसे बच्चों के लिये वरदान साबित हो रहा है जो जन्म के बाद से ही अनेको विकार से ग्रसित थे, और इन विकार व बीमारियों के कारण उनका भविष्य अंधकारमय था।

कलेक्टर कोरिया कुलदीप शर्मा के मार्गदर्शन में छ.ग. सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) योजना अंतर्गत बच्चों में स्वास्थ्य की गंभीर समस्या को देखते हुये चिन्हांकन कर चिरायु अंतर्गत उनका निःशुल्क उपचार कराया जा रहा है, जिससे जरूरतमंद बच्चों की जिंदगी रोशन हो रहा है, अब ये बच्चे समाज में सामान्य बच्चों की तरह ही अपनी जिंदगी गुजार सकेंगें और अपना भविष्य गढ़ सकेंगें।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामेश्वर शर्मा ने अवगत कराया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (चिरायु) की शुरूवात 15 अगस्त 2014 में हुआ, शासन द्वारा चिरायु योजना का क्रियान्वयन एक अभियान के रूप में करने का निर्णय लिया गया,

अभियान अंतर्गत 0 से 18 वर्ष प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत समस्त छात्र छात्राओं का वर्ष में एक बार तथा आंगनबाड़ियों में दर्ज बच्चों का उक्त अवधि में 02 बार स्वास्थय परीक्षण करने का लक्ष्य हैं। चिरायु अंतर्गत कोरिया जिले के 05 विकासखण्डों में कुल 12 चिरायु दल कार्य कर रहे हैं।

सभी दलों में 1-1 महिला एवं पुरूष चिकित्सा अधिकारी, 1 फार्मासिस्ट, 1 लैब तक्नीशियन, 1 ए.एन.एम. कार्यरत है, जिनके द्वारा प्रतिमाह 20 दिवस योजनाबध्द तरीके से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता हैं। डॉ. प्रिंस जायसवाल, जिला सलाहकार के अनुसार 01 अप्रैल से 31 जुलाई 2022 तक जांच पश्चात् ग्रुप ए अंतर्गत 70 बच्चों का निःशुल्क सर्जरी व ईलाज कराया गया है।

जिसमें 26 जन्मजात बाल हृदय रोग, 25 क्लब फूट (पैरों की विकृति), 05 जन्मजात मोतियांबिंद, 01 ग्लूकोमा, 01 हाइड्रोसिफेलस, 06 न्यूरो एवं 06 अन्य बीमारियों का निःशुल्क ईलाज एवं सर्जरी किया गया।