उच्च न्यायालय के कार्यवाही की गलत व्याख्या करके भाजपाई संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के पाप से बच नहीं सकते

रायपुर/18 अक्टूबर 2023। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय चुनाव मीडिया संयोजक सिद्धार्थ नाथ सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के आदतन झूठे नेता अपने संविधान विरोधी चरित्र और संवैधानिक संस्थानों के दुरुपयोग पर परदेदारी करने के लिए हाई कोर्ट की कार्यवाही की गलत व्याख्या करके परदेदारी करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

ईडी के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे भारतीय जनता पार्टी के नेता यह बताएं कि कांग्रेस के किस नेता के पास से ईडी आईटी ने अब तक कितनी संपत्ति जब्त की है? या क्या बरामद किया है? सच यह है कि रमन राज में आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे भाजपाई भूपेश सरकार पर प्रमाणीत आधार पर एक रुपए का भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा पाए है। केवल भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक एजेंडा को पूरा करने के लिए ईडी और आईटी छत्तीसगढ़ में जमी हुई है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व और केंद्र की मोदी सरकार भी यह मान चुकी है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश पर भरोसे की सरकार के सामने भारतीय जनता पार्टी चुनावी मुकाबले में कहीं नहीं है और इसीलिए एडिट को भारतीय जनता पार्टी के अनुसार एक संगठन के तौर पर भेजा गया।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि न्यायालय के भीम की गलत व्याख्या करने वाले भाजपाई ईडी जांच पर सुप्रीम कोर्ट के कमेंट भी पढ़ ले 18 जुलाई 2023 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच पर रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्यवाही ईडी मैन्युअल में तय नियमों के खिलाफ है। जहां-जहां भाजपा राजनीतिक रूप से कमजोर होती है केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर जांच एजेंसियों के माध्यम से चुने हुई सरकार को स्थिर करने का षड्यंत्र रचा जाता है।

मणिपुर, गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र इसके ताजा उदाहरण है। छत्तीसगढ़ में तो भाजपा अस्तित्व के संकट से गुजर रही है और यही कारण है कि मोदी शाह के इशारे पर विगत दो वर्षों से ईडी और आईटी स्थाई रूप से छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं। छत्तीसगढ़ में ईडी और आईटी के द्वारा राज्य के अधिकारियों, व्यवसाईयों और आम जनता को डराने, धमकाने, भाजपा के षड़यंत्रों पर अमल करने मन माफिक बयान देने के लिए दबाव बनाने शारीरिक मानसिक प्रताड़ना के प्रकरण भी सर्वविदित है। हाई कोर्ट की कार्यवाही की गलत व्याख्या करके भाजपाई अपने संविधान विरोधी पाप से बरी नहीं हो सकते।