मोदी सरकार कोयला संकट पर श्वेत पत्र जारी करे- कांग्रेस

कोयला और विद्युत उत्पादन निजी क्षेत्रों को सौंपने की साजिश में कृत्रिम कोयला संकट

रायपुर/13 अक्टूबर 2021। कांग्रेस ने कोयला संकट के लिये केंद्र सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि देश में कोयला संकट के लिये मोदी सरकार की अदूरदर्शी नीतियां जिम्मेदार है। कोयले के प्रचुर भंडार वाले भारत देश में यदि देश की जरूरतों के अनुरूप भी कोयला उत्पादित नहीं हो पा रहा है तो देश की जनता को यह जानने का हक है कि इस संकट के पीछे कारण क्या है? मोदी सरकार देश की जनता को बतायें कि देश में अचानक कोयले का इतना बड़ा संकट कैसे आ गया कि देश के 10 से अधिक राज्यों में बिजली उत्पादन 30 से 50 प्रतिशत तक कम हो गया।

देश को 5 ट्रिलयन इकोनामी और मेक इन इंडिया का ख्वाब दिखाते-दिखाते मोदी भारत को तबाही के कागार पर ले जाकर खड़ा कर दिये। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार स्वतंत्रता के बाद देश की ऐसी सरकार है जो दिग्भ्रमित है जिनके पास देश के आर्थिक न रोड मैप बिना किसी तैयारी के और बिना किसी कारण के नोटबंदी किया। देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी, जीएसटी लागू किये तो देश का व्यापार ठप्प पड़ गया। अब इनकी अदूरदर्शी नीतियों के कारण कोयला भंडार पैदा हो गया देश भर की बिजली उत्पादन ईकाईयां बंद हो रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने दशकों तक मेहनत कर स्वावलंबी और आधुनिक भारत का निर्माण किया, सूई से लेकर हवाई जहाज तक बनाने में भारत आत्म निर्भर हुआ। मोदी सरकार चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने देश की परिसंपत्तियों के साथ देश की खनिज संपदा निजी क्षेत्रों को सौंपने की योजना बना रही है। मोदी सरकार ने देश के लिये एक भी नई परियोजना की शुरूआत नहीं किया लेकिन पुरानी मुनाफा देने वाली अनेकों ईकाइयों के निजीकरण का रास्ता जरूर खोल दिया। मोदी सरकार जानबूझकर सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाईयों को बंद करने में लगी है ताकि निजीकरण का रास्ता खुल सके।

देश की तमाम मुनाफा देने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने वाली नीति को सफल बनाने के लिये कृत्रिम कोयला संकट पैदा किया गया है ताकि सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादन ईकाईयों के निजीकरण का रास्ता खोला जा सके।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कोयला संकट का एक और प्रमुख कारण यह है कि मोदी सरकार ने देश की लगभग पूरी कोल माइंस को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर अडानी को सौंप दिया। अडानी समूह भारत का सबसे बड़ा कोयला व्यापारी बन चुका है, उसके एकाधिकार के कारण भी देश आज कोयले के संकट से जूझ रहा है। पहले संकट पैदा किया जा रहा ताकि बाद में मनमाने दाम पर कोयला बेच कर अडानी समूह मुनाफा कमा सके।