मोदी सरकार सरकारी स्कूलों को बंद करके शिक्षा का भी कर रही निजीकरण

रायपुर/ 12 मई 2022। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने केन्द्र सरकार की संस्था यूडीआईएसई (यूनिफाइड डिस्ट्रीक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजूकेशन) की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि धनकुबेरों की पिट्ठू मोदी सरकार हर क्षेत्र की तरह शिक्षा का भी निजीकरण करना चाहती है और इसीलिए देश के सरकारी स्कूलों का अस्तित्व खतरे में है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में सिर्फ एक साल के अंदर 521 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं जबकि इससे 6 गुना ज्यादा 3304 निजी स्कूल खुल गए हैं।

इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मोदी सरकार गरीबों के बच्चों को शासकीय स्कूलों में मिलने वाली निःशुल्क शिक्षा से दूर करना चाहती है और सरकार चाहती है कि बच्चों के गरीब माता पिता को निजी स्कूलों में मोटी रकम भरने को मजबूर होना पड़े। मोदी सरकार पहले ही शिक्षा के बजट में कटौती कर चुकी हैं। मोदी सरकार गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा से दूर करके निजी शिक्षण संस्थाओं की तिजोरी भरना चाहती है वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार प्रदेश भर में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलकर गुणवत्तापूर्ण और निशुल्क शिक्षा दे रही है। भूपेश सरकार द्वारा पढ़ई तुँहर द्वार,गढ़बो भविष्य, विज्ञान गणित क्लब, नवा जतन जैसे अभूतपूर्व प्रयोग पिछले साढ़े तीन साल के शासनकाल में किए गए हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा ऐसा नहीं है कि केवल मोदी सरकार ही गरीब बच्चों को मिलने वाले निशुल्क शिक्षा के विरुद्ध है। छत्तीसगढ़ के रमन राज में भी गरीब बच्चों को मिलने वाले निःशुल्क शिक्षा को छीनने के लिए कई षड्यंत्र किए गए। डॉ रमन सिंह के 15 साल के शासन काल में लगभग 3000 से अधिक शासकीय स्कूल बंद हो गए। प्रत्येक जिलों में संचालित मॉडल स्कूलो को निजी संस्था डीएवी को रमन सरकार ने बेचा। स्कूलों में शिक्षक नहीं मिलते थे। आज भूपेश बघेल सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि अकेले बस्तर में 300 से अधिक शासकीय स्कूलों को फिर से खोला गया है।

प्रदेश में 171 आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गए हैं और 50 स्कूल और खोले जाने की घोषणा की जा चुकी है। 30 स्कूलों को स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के 16 स्थानीय भाषाओं में किताबें छप रही हैं एवं उसके द्वारा शिक्षा भी दी जा रही है। इन सभी आंकड़ों को देखा जाए तो समझ में आता है कि भाजपा का चरित्र शिक्षा विरोधी है और उन्हें पढ़े लिखे लोगों से खतरा महसूस होता है, जबकि कांग्रेस हमेशा से यह चाहती रही है कि देश के युवा शिक्षित बने और देश के विकास में अपना सहयोग दें।