हसदेव जंगल बचाने डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर द्वारा अपील एवं धरना प्रदर्शन

रायपुर । छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में स्थित परसा कोल ब्लॉक को कोयला उत्पादन के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किए जाने एवं 4 से 5 लाख हरे भरे एवं बड़े छोटे पेड़ों की निर्मम कटाई के विरोध में प्रकृति प्रेमी डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर द्वारा शासन से इसे रोकने का अपील किया जा रहा है।

वृक्षों की निर्मम कटाई के विरोध में धरना में अमिताभ दुबे जी संस्थापक ग्रीन आर्मी ऑफ रायपुर, गुरदीप टुटेजा जी, ब्राउन विंग चेयर पर्सन, डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर पर्यावरण प्रेमी द्वारा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की अनुमति से परसा कोल ब्लॉक आवंटन के लिए जमीन का अधिग्रहण के पश्चात लाखों पेड़ों की कटाई मशीन द्वारा की जा रही है इन पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने हेतु धरना प्रदर्शन एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आम लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठाने का गुहार लगाया जा रहा है।

डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा कि यदि जंगल ही नहीं रहेंगे तो वहां के जीव जंतु, जंगली जानवर, पशु पक्षी का रहवास ही समाप्त हो जाएगा। आए दिन जंगल से विचरण करते हुए हाथियों का झुंड गांव गांव शहर शहर तक पहुंच जाता है एवं उत्पात मचाता है। और अब कोयला खनन के लिए एक और जंगल समाप्त कर दिया जाएगा, हरियाली समाप्त कर दी जाएगी, लाखों पेड़ कट जाएंगे और इसी के साथ दुर्लभ जीव जंतु और औषधीय पेड़, पंछी सब खत्म हो जाएंगे ।

हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक कोयला उत्पादन से हरियाली उजड़ जाएगी जो सिर्फ हम मनुष्यों की नहीं है इसमें उनका भी हक उतना ही है जो हजारों सालों से उस जंगल में फलते फूलते रहे हैं जिनका उस जंगल के अलावा कहीं और ठिकाना नहीं है, वह वहां से निकल कर अपनी नई सर्व सुविधा युक्त कॉलोनी नहीं बना सकते उनके पास सिवाय मरने के और कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है, उनके लिए कोई अदालत का दरवाजा नहीं है, एक फरमान से शोर करती दानव आकार के मशीनें घंटों में हजारों पेड़ काटकर जमीन में बिछा देंगे और रह जाएगा ठूंठ और बंजर मैदान पंछी का कलरव, भंवरे की गुनगुन, तितली का उड़ना और नई हरि कोपलों का निकलना सब बंद उसके बाद बेजान कोयला उगलती जमीन बची रहेगी जहां केवल राख और मिट्टी होंगे। सही मायनों में हम दिमक हो गए हैं अपनी बॉबियों को बनाने में मशगूल हम अपनी आश्रय दाता धरती को ही चट कर रहे हैं, और 1 दिन ऐसा होगा और निश्चित होगा जब हम खुद इस मलबे में दब जाएंगे फिर हमारा चित्कार सुनने वाला कोई नहीं होगा।

अब हमें चावल दाल रोटी अच्छी नहीं लगती अब हम कोयला, लोहा, पत्थर और लकड़ी खाकर संतुष्ट हो रहे हैं, हे प्रकृति और जंगल के देवता मैं आपसे माफी मांगता हूं और हाथ जोड़कर विनती करता हूं हम आदमियों की इस विकास की दौड़ को रोकिए इसे सद्बुद्धि दीजिए यह समझ सके कि यह धरती हमारे लिए ही नहीं बल्कि और भी जीवो की आश्रय स्थली है हसदेव जंगल बचेगा तो हम बचेंगे।

डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने बताया कि रायपुर से प्रकृति प्रेमी पर्यावरण मित्र का एक दल 15 मई को प्रातः 6:00 बजे बस द्वारा हसदेव अरण्य में लाखों पेड़ों की कटाई रोकने के लिए गुहार लगाने रवाना होंगे।