रायपुर/24 मई 2022। भाजयूमों के ओबीसी आरक्षण को लेकर धरना प्रदर्शन को फ्लाप शो बताते हुये छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर भाजपा के प्रदर्शन पर ओबीसी वर्ग की सहभागिता पूरी तरह से शून्य रही। आयोजन स्थलों के कुर्सी पर भी भाजपा के शोषक वर्ग कब्जा जमाये रहे। घड़ियाली आंसू बहाने और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये किये गये आंदोलन को, ओबीसी वर्ग के लोगो ने ही भाजपा के धरने को नकार दिया। भारतीय जनता पार्टी और आर एस एस का मूल चरित्र पिछड़ा वर्ग विरोधी है, दलित, आदिवासी और महिला विरोधी है।
छत्तीसगढ में 15 साल सत्ता में रहने के दौरान रमन सरकार ने यदि ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में कोई प्रयास किया हो, कोई कमेटी बनाई हो या आरक्षण लागू करने के संदर्भ में कोई अधिसूचना जारी की हो तो बताएं? असलियत यह है कि सत्ता में रहने के दौरान भाजपाइयों को कभी पिछड़ों और वंचितों की सुध नहीं आई, बल्कि इसके विपरीत अनुसूचित जाति के आरक्षण को 14 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया। सामाजिक न्याय, सत्ता में सभी वर्गों की सहभागिता, पिछड़ों के हितों का संरक्षण और संवर्धन भूपेश बघेल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रमन सरकार के द्वारा घटाये गये अनुसूचित जाति के आरक्षण को बढ़ाकर 13 प्रतिशत किया। भूपेश बघेल सरकार ने 15 अगस्त 2019 को ही छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत लागू किया। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ घोषणा में शामिल किया गया है। बिलासपुर उच्च न्यायालय में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के खिलाफ अलग-अलग चार याचिकाएं लगाई गई है। माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा सरकार से 27 परसेंट आरक्षण दिए जाने का आधार पूछा गया है।
छत्तीसगढ़ के लगभग 53 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की जनता के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कराने भूपेश बघेल सरकार प्रतिबद्ध है, और इसी संदर्भ में उच्च न्यायालय के समक्ष पुख्ता आधार प्रमाणित करने भूपेश बघेल सरकार ने इन वर्गों के प्रमाणिक आंकड़े जुटा रही है। इसके लिए जिला और नगरी निकाय क्षेत्र स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। 5 सदस्य इस समितियों में ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का एक-एक प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। आरक्षित वर्गवार सही संख्या जानने के लिए सेवानिवृत जिला एवं सत्र न्यायाधीश छविलाल पटेल की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया है।
वर्गवार जानकारी जुटाने का आधार राशन कार्ड को बनाया गया है। “छत्तीसगढ़ क्वांटिफिएबल डाटा कमीशन“ के मोबाइल एप और वेब पोर्टल लांच किए गए हैं। पूरे छत्तीसगढ़ में ओबीसी और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ गिनती 21191 गांव 11700 पंचायत व 169 निकायों में लगभग पूर्ण कर ली गई है। क्वांटिफिएबल डाटा आयोग अगले महीने रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। जिसके आधार पर 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण आंकड़ों के साथ प्रमाणित और स्थानीय निकायों से सत्यापित पुख्ता दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। जिससे ओबीसी वर्ग के आरक्षण के मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि पिछड़ा वर्ग के हितैषी होने का ढोंग करने के बजाय छत्तीसगढ़ के भाजपाई यह बताएं कि रमन सरकार के 15 साल में ओबीसी आरक्षण के लिए क्या प्रयास हुए? ओबीसी एससी और एसटी की कुल आबादी छत्तीसगढ़ में 97 प्रतिशत है, यदि इन तीनों वर्गों के स्थानीय लोगों को कुल मिलाकर 72 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है तो इसमें गलत क्या है? भूपेश बघेल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता संविधान का दर्शन और मूल भावना के अनुरूप पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी और सामाजिक न्याय के लिए उनके अधिकारों का संरक्षण है।
समता और समानता का तात्पर्य पिछड़ों और वंचितों के हितों का संरक्षण भी है पिछड़ों और वंचितों के संदर्भ में भाजपा का बयान केवल ढूंढ और दिखावा है भाजपा तो केवल मुखौटा है इनको चलाने वाले आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार चुनाव के दौरान वक्तव्य याद होगा जब उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है आरक्षण की समीक्षा कर उसे खत्म करने का। भाजपा का असल एजेंडा पूंजीवाद है आरक्षण का मुखौटा तो केवल दिखावा है। सरकारी कंपनियों, सरकारी निगमों, सरकारी उपक्रमों के निजीकरण से सर्वाधिक प्रभावित आरक्षित वर्ग के युवा हो रहे हैं, क्योंकि बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्ट, नवरत्न कंपनियां, बंदरगाह, एचपीसीएल जैसे सरकारी उपक्रमों का निजीकरण करके मोदी सरकार द्वारा इन संस्थानों में आरक्षित वर्ग के युवाओं के रोजगार के अवसर को षडयंत्र पूर्वक समाप्त किया जा रहा है। दरअसल भाजपा पिछड़ों और वंचितों की नहीं बल्कि चंद पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए काम करने वाली पार्टी है।