चिरमिरी। अविभाजित छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश के सबसे पुराने कालेजों मे शुमार 1953 में स्थापित शासकीय लाहिड़ी स्नात्कोत्तर महाविद्यालय जहां से 50 हजार से ज्यादा किताबें चारी होने का मामला सामने आया है। जिसकी जानकारी के बाद लाहिड़ी पीजी काॅलेज के एल्युमिनी एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने पहुंचकर इसका जायजा लिया।
ज्ञात हो कि चिरमिरी शहर में 1953 से संचालित शासकीय लाहिड़ी पीजी कालेज 6 दशक पूर्व का अपने आप में प्रख्यात कालेजों में से एक रहा है। जहां से कई शासकीय, प्रशासनिक व राजनितिज्ञों ने इस महाविद्यालय से अध्यापन कर क्षेत्र को गौरवांवित किया है। इसी कालेज में अपनी तहर का नया मामला सामने आया है। जिसमंे कालेज की लाईब्रेरी से 50 हजार से ज्यादा किताबे चोरी होने का है। इस मामले में महाविद्यालय परिसर पहुंचे पूर्व छात्रों के एल्युमिनी एसोसिएशन अध्यक्ष व पूर्व छात्र श्याम बिहारी जायसवाल ने मौके पर पहुंचकर उन्होने इसका जायजा लिया।
इस दौरान श्री जायसवाल ने कहा कि यह कालेज ही नहीं है विद्या के मंदिर के साथ साथ चिरमिरी के धरोहर एवं प्रगति की महत्वपूर्ण कडी है। जिसको स्व. विभूति भूषण लाहिड़ी ने एक दूर दृष्टता के साथ इसकी स्थापना की थी। यहां सर्वसुविधायुक्त प्रोफेसर काॅलोनी, लाइब्रेरी, स्टाफ कक्ष, लैब, हर फेकल्टी के लिए रूम, आडिटोरियम, कैंटिन छात्राओं के लिए काॅमन हाॅल था। एक-एक करके सभी की दशा और दिशा बदली है। 6 दशक पुराने इस महाविद्यालय से मैने भी अपनी एमएससी की पढ़ाई पूर्ण की है।
छात्रों के लिए लाइब्रेरी एक बहुत महत्वपूर्ण जरिया होता है अध्ययन करने के लिए क्योंकि हमने भी लाइब्रेरी से सभी किताबे लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की है। यहा आज मै खुद देख रहा था कि सन् 1930 की किताबें अभी भी लाइब्रेरी में है जो अध्ययन के लायक है। कई लोगों का कहना है कि सिलेबस से बाहर हो चुकी है किताबें तो मै उन्हे बताना चाहता हूं कि यहां जो भी किताबें थी वे सभी अध्ययन के लायक थी और रिफरेंस के रूप में छात्रों को उनकी जरूरत हमेशा पड़ती है। यह महाविद्यालय केवल एक महाविद्यालय नहीं ही वरन हमारे जैसे पूर्व छात्रों के लिए एक धरोहर और हमारी मां के समान है, यहां से हमारी बहुत सी भावनाएं जुडी हुई है। यदि महाविद्यालय के साथ कुछ भी गलत होगा तो हम उसके लिए हमेशा खड़े रहेंगे और अपनी आवाज बुलंद करेंगे।
पुलिस प्रशासन से भी मेरा आग्रह है कि जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दे और त्वरित कार्यवाही करते हुए उन सभी बेशकीमती किताबों को वापिस कालेज तक पहुंचाने का काम करें। साथ ही जो भी दोषी हो उनपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो। क्योंकि सभी किताबें कई दशक पुरानी और आज किसी कीमत पर उपलब्ध नहीं हो सकती है वे सभी बेशकीमती धरोहर है आने वाली पीढ़ी के लिए।
किताबें यदि नहीं मिलती है तो काॅलेज में अध्ययन किए पूर्व छात्रों का संघ इसके लिए आंदालन करने को बाध्य होगा।
बहरहाल जहां चिरमिरी कोयलांचल क्षेत्र में अभी तक कोयला, कबाड़, शराब व जुआ-सट्टा का अवैध धंधों की चर्चा बनी रहती थी। लेकिन अब 50 हजार से ज्यादा किताबों की चोरी का यह अपने आप में अनूठा मामला है। लेकिन कालेज की इन किताबों से पढ़कर यहां से निकले छात्रों के लिए यह भावनात्मक जुडाव का मुद्दा बन चुका है।
प्राचार्य आरती तिवारी ने बताया कि 17 तारीख को जब मै काॅलेज आई हूं तो मुझे लाइब्रेरी के प्रभारी ने बताया कि पुरानी लाइब्रेरी का ताला टूटा हुआ है। फिर अन्य स्टाॅफो को भेजकर देखने को कहा जिसके बाद स्टाफो ने बताया कि सभी आलमारियों से किताबें गायब है। इसके बाद हमने तुरंत चिरमिरी थाने में लिखित सूचना भेजी। मै खुद इस महाविद्यालय से 2 दशकों से जुडी हुई हूं। यह घटना मुझे भी आश्चर्य चकित कर गई है।
टीआई कमलकांत शुक्ला ने बताया कि मामला हमारे ग्रंथपाल के द्वारा किताबें चोरी होने की सूचना पर धारा 457, 380 भादवि के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। प्रथम सूचना पत्र के बाद सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। विवेचना उपरांत आगे हम कुछ कह पायेंगे।