रायपुर : भाजपा ने रमन राज के 15 साल के कुशासन में जनता के साथ धोखाधड़ी की। छत्तीसगढ़ को गरीबी रेखा के मामले में देश में नंबर वन बनाया, राष्ट्रीय औसत से लगभग दुगुने। गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, पलायन, कुपोषण, एनीमिया, मलेरिया से होने वाली मौत और नक्सलवाद ही रमन सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ की पहचान हुआ करती थी।
प्रदेश के किसानों को बोनस के नाम पर ठगा गया, आदिवासियों को 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय और प्रत्येक परिवार से एक सदस्य के नौकरी के नाम पर ठगे, छत्तीसगढ़ के युवाओं के नौकरी के अधिकार को आउटसोर्सिंग के नाम पर बेचा गया।
यह भी ऐतिहासिक तथ्य है कि सितंबर 2022 में तत्कालीन रमन सिंह सरकार के दौरान सीएमआईई के द्वारा जारी आंकड़ों में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 22.2% थी जो वर्तमान भूपेश बघेल सरकार के दौरान घटकर 0.8 प्रतिशत रह गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि विगत 5 महीनों से लगातार छत्तीसगढ़ देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाला राज्य बना हुआ है, जबकि देश की औसत बेरोजगारी दर छत्तीसगढ़ से लगभग दस गुना अधिक है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में पहले दिन से ही भूपेश बघेल सरकार आम जनता की समृद्धि को लक्ष्य करके काम कर रही है और यही कारण है कि प्रदेश में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक समृद्धि दिनों दिन बढ़ रही है।
आम जनता की सहभागिता सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों में लगातार बढ रही है। दो हजार अट्ठारह के विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा पत्र में किए गए 36 में से 25 से अधिक वादे पूर्ण कर लिए गए हैं और बाकी पर भी तेजी से काम हो रहे हैं। भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार 5 वर्ष के भीतर सभी वादों को पूरा करेंगी।
विदित हो कि बेरोजगारी भत्ते का वादा 2003 के घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने किया था जो कि 15 साल सरकार में रहते हैं जिन्हें याद नहीं रहा अब अपनी राजनीतिक जमीन खा सकता हुआ देखकर भारतीय जनता पार्टी के नेता अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं।
इससे ज्यादा शर्मनाक और कुछ भी नहीं हो सकता की कर्जमाफी और 2500 रुपए धान के समर्थन मूल्य के लिए उठाए गए गंगाजल की कसम को अब गलत और भ्रामक रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं। रमन राज के कुशासन में कभी रतनजोत, कभी औषधि खेती तो कभी उद्योग लगाने के नाम पर किसानों की हजारों एकड़ जमीन छीनी गई,
आदिवासियों को जल जंगल जमीन के अधिकारों से वंचित किया गया वहीं वर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने 5 लाख से अधिक वन अधिकार पट्टा जारी कर लगभग 96 लाख एकड़ जमीन आदिवासियों को सौंपी गई है।
ना केवल सरकारी नौकरी में नियमित पदों पर भर्ती हो रही है बल्कि नई औद्योगिक नीति के माध्यम से छत्तीसगढ़ के निजी उद्योगों में भी स्थानीय लोगों को प्रमुखता से स्थान मिल रहा है। प्रदेश में न केवल पंजीकृत किसानों की संख्या दोगुनी हुई है बल्कि कृषि का रकबा भी बढा है और धान खरीदी की मात्रा भी दोगुनी हो गई है।
छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री आरंभ करने और गाइडलाइन दरों में कटौती से रियलस्टेट व्यवसाय प्रदेश में पुनः फलने फूलने लगा है। 6 के स्थान पर 65 वनोपज खरीदे जा रहे हैं। देश की कुल वन उपज खरीदी का 74% केवल छत्तीसगढ में ही, ना केवल वनोपज संग्रहण 600 गुना बड़ा है बल्कि प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन का लाभ भी स्थानीय जनता को मिलने लगा है।
आम जनता की समृद्धि का सीधा असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर देखने को मिल रहा है। विगत साडे तीन वर्षों से अर्थव्यवस्था के तीनों सेक्टर कृषि, सेवा और उत्पादन में छत्तीसगढ़ का औसत राज्य से बेहतर है।
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यही वजह है कि 15 साल तक वादाखिलाफी और कमीशनखोरी के चलते अपनी विश्वसनीयता और राजनैतिक जमीन खो चुके भारतीय जनता पार्टी के नेता अब अनर्गल बयानबाजी करने लगे हैं।