रायपुर, 29 अक्टूबर 2021/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति ने उद्योग जगत का विश्वास अर्जित करने में सफलता पाई है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण उद्योगपतियों को यह विश्वास है कि छत्तीसगढ़ में एनपीए की स्थिति नहीं बनेगी। बघेल ने कहा कि कोरोना संकट के बावजूद छत्तीसगढ़ की नई उद्योग हितैषी नीति के कारण प्रदेश में नये उद्योगों की स्थापना के लिए 132 एम.ओ.यू. किए गए हैं, जिनमें लगभग 58 हजार 950 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश होगा और 70 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री आज यहां एक निजी होटल में समाचार चैनल न्यूज़ 18 द्वारा आयोजित ’’बिजनेक्स्ट’’ शेपिंग बिजनेस कनेक्शन्स कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कृषि, वन, उद्योग और व्यापार सहित सभी क्षेत्र को लगातार बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना के अनुरूप आने वाले समय में छत्तीसगढ़ विकास के गढ़ के रूप में नई पहचान बनाएगा।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई वर्ष 2019-24 नई औद्योगिक नीति के तहत उद्योगों के लिए अनेक रियायतों का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के ऐसे इलाके जहां उद्योग स्थापित नहीं है, वहां उद्योगों की स्थापना के लिए 60 प्रतिशत सेे 150 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान किया गया है। राज्य में अधिक से अधिक पूंजी निवेश आकर्षिक करने के लिए आवंटित भूमि की दरों में 30 प्रतिशत तथा लीज रेंट की दरों में एक प्रतिशत की कमी करने के साथ औद्योगिक भूमि को फ्री होल्ड करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कोरोना संकट काल के दौरान दिए गए सहयोग के लिए उद्योग और व्यापार जगत को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस संकट का सामना करने के लिए सबने एकजुटता के साथ काम किया, जिससे सफलता मिली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब देश में मंदी का दौर था, राज्य सरकार की नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ आर्थिक मंदी से अछूता रहा। राज्य सरकार ने जहां कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया। वहीं विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों, मजदूरों और वनवासियों की जेब में पैसे डालने का काम किया। इसका यह परिणाम हुआ कि लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी और उद्योग व्यापार के सभी सेक्टरों में वृद्धि दर्ज की गई, चाहे आटो मोबाइल सेक्टर हो या सराफा या गारमेंट सेक्टर। श्री बघेल ने कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि नई सरकार के गठन के बाद राज्य सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया, 2500 रूपए प्रति क्विंटल में धान खरीदी का फैसला लिया, जब केन्द्र ने ऐसा करने से रोका, तब राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ आदान सहायता दी। श्री बघेल ने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत किसानों को खरीफ की सभी फसलों के लिए 9000 रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से प्रदेश में किसानों की संख्या और कृषि के रकबे में बढ़ोत्तरी हुई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पहले लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत मजदूरों को बड़े पैमाने पर रोजगार दिया गया। काम देने के काम में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अव्वल रहा। उन्होंने कहा कि किसानों को छत्तीसगढ़ में धान की सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। इसी तरह तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए प्रति मानक बोरा 4000 रूपए का पारिश्रमिक दिया जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान लगभग 14 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहकों को लगभग 600 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महुआ की खरीदी 30 प्रति किलो की दर से की गई, जबकि महुआ का मूल्य 17 रूपए प्रति किलो था। इसी तरह इमली की खरीदी 31 रूपए प्रति किलो की दर पर की गई। कोरोना काल में भी समर्थन मूल्य पर लघु वनोपजों की खरीदी की गई तथा खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की गई। इन योजनाओं से लोगों की जेब में पैसा आया।
मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य शासन द्वारा मजदूर परिवारों के लिए शुरू की जा रही नई योजना राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना में मजदूर परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रूपए की सहायता दी जाएगी। उन्होंने गोधन न्याय योजना और स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना की जानकारी भी दी। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान आयोजकों की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया।