राजभाषा की मान्यता हेतु, छत्तीसगढ़ी अन्य लोकभाषाओं की तुलना में प्रथम क्रम पर : डॉ. विनय पाठक

बिलासपुर| छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति एवं तुलसी साहित्य अकादमी के समन्वित समारोह में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि भाषा के लिए जब कम से कम एक प्रदेश में बहुसंख्यक लोगों के द्वारा व्यवहार की जानी अपेक्षित है तब आठवीं अनुसूची में अन्य लोकभाषाओं की तुलना में छत्तीसगढ़ी का अधिकार प्रथम क्रम पर होना चाहिए लेकिन राजनीति के चलते छत्तीसगढ़ी को वह स्थान नहीं मिल सका है जो दुर्भाग्यपूर्ण है I

डॉ. पाठक ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने का समय आ गया है क्योंकि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में माध्यम के साथ हिंदी में वैज्ञानिक, तकनीकी व चिकित्सा संबंधी अध्यापन पर जोर दिया गया है I कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री सनत तिवारी जी ने किया |

इस अवसर पर डॉ. राघवेंद्र दुबे, प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, डॉ. विवेक तिवारी जिला समन्वयक छ. ग. राजभाषा आयोग बिलासपुर, डॉ राजेश कुमार मानस, श्री एम डी मानिकपुर, श्री सुखेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. बजरंग बली शर्मा, श्री राजेन्द्र तिवारी व श्री राजेश वस्त्रकार ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ी राजभाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर जोर दिया | कार्यक्रम में साहित्यकारों ने छत्तीसगढ़ी में सरस काव्य-पाठ किया | आभार डॉ विवेक तिवारी ने व्यक्त किया