रायपुर/22 नवंबर 2021। भाजपा के राजनांदगांव से सांसद संतोष पांडेय ने आंदोलनरत किसानों को नक्सली, आतंकवादी और खालीस्तानी कहा था। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने सांसद पांडेय से पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों किसान कानून वापसी की घोषणा के बाद संतोष पाण्डेय किसानों से माफी मांगेगे या फिर भाजपा सांसद आज भी किसानों को नक्सली, आतंकवादी और खालीस्तानी ही मानते हैं? भारतीय जनता पार्टी का चरित्र मूल रूप से फासीवादी और असहिष्णु है भाजपा अपने असहमति में उठने वाली आवाज को सहने की लोकतांत्रिक चरित्र की कमी है।प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों को प्रताड़ित करने के अनेकों हथकंडे अपनाये गये लाठियां चलवाया गया, गिरफ्तारियां करवाई गयी, बदनाम करवाया गया।
भाजपा के हर नेता यहां तक प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलकारियों को आंदोलन जीवी, परजीवी होते हैं कहा था। कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने कहा था भीड़ भेड़ की तरह होती है, भीड़ इकट्ठा होने से कानून वापस नहीं होते। केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल ने कहा था किसान आंदोलन माओवादी विचारधारा के हाथों चलाया गया है। एक और केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह ने कहा था आंदोलनकारी पहनावे से किसान नहीं लग रहे। केंद्रीय मंत्री राव साहेब दानवे ने तो यहां तक आरोप लगाया था आंदोलन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने आंदोलनकारी किसानों को देशद्रोही टुकड़े-टुकड़े गैंग बताया था। हरियाणा के भाजपा सरकार के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा था आंदोलन के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। किसानों के बारे में इतनी घटिया बयानबाजी करने वाले भाजपाई कृषि कानून वापसी के बाद किसानों से निःशर्त माफी मांगे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि चुनावी हार के डर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों किसान कानूनों को वापस जरूर ले लिया लेकिन आज भी भाजपा नेता कृषि कानूनों पर देशभर की असहमति को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। जिस कानून की तथाकथित अच्छाई को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री, पूरी केंद्र सरकार भाजपा 300 से अधिक लोकसभा के सांसद, 18 मुख्यमंत्री और 18 राज्य सरकारें अपने आपको दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा के तमाम सदस्य मिलकर 1 साल में जनता को समझा नहीं पाये मजबूरी में जिसे वापस लेना पड़ा, उस कानून को केंद्र सरकार की भूल मानने में आज भी भाजपा नेताओं का अहं आड़े आ रहा है।