रायपुर/02 फरवरी 2023। मोदी सरकार के द्वारा प्रस्तुत बजट में देश के आम आदमी की उपेक्षा की गयी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार ने ज्यादा कमाई वालों को राहत देने के लिये बजट बनाया है। 7 लाख तक आमदनी वालो को टैक्स में राहत देने का प्रावधान कर अपनी पीठ थपथपाने वाले मोदी सरकार बतायें देश में कितने लोगों की आमदनी 7 लाख रू. से अधिक है? जब आमदनी 7 लाख से अधिक होगी तब ही तो छूट का लाभ मिलेगा।
सरकार बताये लोग 7 लाख कैसे कमायेंगे? एक तरफ तो मनरेगा के बजट में 10 हजार करोड़ की कटौती कर रहे है, मनरेगा के मजदूर की दिहाड़ी प्रतिदिन 204 रू. है। उनको साल में 150 दिन काम मिलता है, उनकी सालाना आय लगभग तीस हजार रू. है। कितनी बड़ी विडंबना है कि मोदी सरकार के बजट में तीस हजार सालाना कमाने वालों के लिये कटौती कर रही है तथा 7 लाख कमाने वालो के हितों का ध्यान रख रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हाल ही में एनएसओ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में किसानों की औसत आमदनी मात्र ₹27 प्रतिदिन रह गई है, जो मनरेगा मजदूरी से भी कम है। वादे आय दोगुनी करनी के और असलियत में किसान की आय दसियों गुना कम कर दी गई। एनएसओ की रिपोर्ट में यह भी चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि देश के हर किसान पर औसत ₹74,000 कर्ज है। एक तरफ सरकार किसानों का कर्ज़ माफ़ करने से इंकार करती है, दूसरी तरफ पार्लियामेंट्री कमेटी ने यह खुलासा किया है कि 2020-21 में मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करके देश को 1,84,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की पोषक है। ऑक्सफेम’ की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की विभीषिका में भी देश के 100 बड़े पूंजीपतियों ने 13 लाख करोड़ रुपए कमाए पर 12 करोड़ मेहनतकश लोगों ने अपना रोजगार खो दिया। मोदी जी के कई मित्रों की आय तो ₹1,000 करोड़ प्रतिदिन बढ़ रही है।
महामारी की विभीषिका में 84 करोड़ लोगों की आमदनी घट गई लेकिन सरकार की मेहरबानी धन्नासेठों पर रही। उनका 10 लाख करोड़ रु. से अधिक का बैंक कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया। मोदी सरकार की सरपरस्ती में 5,35,000 करोड़ रु. के बैंक फ्रॉड हुए और नियोजित रूप से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ऋषि अग्रवाल और संदेसरा बंधु जैसे कई लोगों को देश से भगा दिया गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार के कारण देश का मध्यम वर्ग परेशान है। उसकी प्राथमिकता में आम आदमी की सहूलियत नहीं है। जीएसटी की बर्बर मार से दही, पनीर, लस्सी, आटा, सूखा सोयाबीन, मटर व मुरमुरे भी बच नहीं सके, उन पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया।
होटल के 1,000 रु. के कमरे पर 12 प्रतिशत जीएसटी, अस्पताल के आईसीयू बेड पर 5 प्रतिशत जीएसटी! जीने के लिए सभी आवश्यक चीजों पर जीएसटी लगाकर चैन नहीं मिला तो श्मशान घाट के निर्माण पर भी जीएसटी बढ़ा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार घट रही है मगर मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कर रही है। बीते 8 सालों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर कर लगाकर 29 लाख करोड़ रुपए जनता की जेब से निकाले गए हैं।