रेत के शिवलिंग बनाकर श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

राजिम। महाशिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुगण त्रिवेणी संगम में स्नान पश्चात् सूर्यदेव को अर्ध्य देकर परिक्रमा किया। रेत से शिवलिंग का निर्माण किया गया। नीचे वेदी मां पार्वती के स्वरूप है। विधिवत् मूर्त रूप दिया गया। सबसे पहले रेत की शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। दूध, दही, शक्कर, सुगंधित तेल, धतुरा, बिल्ब पत्र, केसर इत्यादि सामाग्रिया अर्पित किये तथा आरती उतारी गई। महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया। शिवजी के पंचाक्षरी मंत्र ओम् नमः शिवाय गुंजायमान होता रहा। पूरा संगम क्षेत्र महादेव के जयकारों से गूंज उठा।

ज्ञातव्य हो कि प्राचीनकाल से संगम क्षेत्र में रेत शिवलिंग बनाने की परंपरा है। किंवदंति के अनुसार वनवास काल में देवी सीता चर्तुमास भगवान रामचंद्रजी के साथ राजिम में व्यतित किया। इस दौरान सीता ने संगम में स्नान उपरांत अपने कुल के आराध्य देव की पूजन करने के लिए रेत से शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक किया। तब से यह पंचमुखी कुलेश्वरनाथ महादेव के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

त्रेतायुग के रामायण काल में भगवान रामचंद्रजी ने रामेश्वर में रामेश्वरम् महादेव तथा देवी सीता ने छत्तीसगढ़ के प्रयाग नगरी राजिम में कुलेश्वरनाथ महादेव की स्थापना किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चन में तल्लीन रहे और हर-हर महादेव का जयघोष करते रहे।