भाजपा स्पष्ट करे की जातिगत जनगणना और अनुपातिक प्रतिनिधित्व के समर्थन में है या खिलाफ?

रायपुर/29 अगस्त 2023। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा स्पष्ट करें की जनगणना में अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु पृथक कोड निर्धारित करने के समर्थन में है या विरोध में। आखिर अनुपातिक प्रतिनिधित्व के लिये जातिगत जनगणना के भूपेश बघेल की मांग के विरोध में क्यों है भाजपाई? क्वांटीफायेबल डाटा आयोग की सिफारिश पर ही नवीन आरक्षण विधेयक लाया गया है।

यदि भारतीय जनता पार्टी को उसे विधेयक पर आपत्ति थी तो सर्व समिति का ढोंग क्यों? संवैधानिक प्रक्रिया के तहत डाटा आयोग का गठन राज्य सरकार करती है और आयोग अपनी अनुशंसा सरकार को सौपती है जिसके आधार पर विधि विभाग से परीक्षण के उपरांत विधेयक लाया गया। आवश्यकता अनुसार न्यायालय द्वारा मांगे जाने पर वह रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जाती है।

गलत बयानी करने वाले भाजपाई बताये की 2011-2012 में ननकी राम कमेटी या सीएस की अध्यक्षता वाली कमेटी के रिपोर्ट को विधानसभा में कब रखा गया या राजभवन कब भेजे? रमन सरकार ने तो 2018 तक प्रस्तुत किये जा चुके मूल जवाब और संशोधित जवाब में दोनो कमेटियों के दस्तावेज न्यायालय से छुपाये। शपथ पत्र तक में जिक्र नहीं था।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 341 और 342 में अनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात कही गयी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता क्यो नहीं चाहते की छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिले। हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा से पारित विधेयक को राजभवन में रोके जाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 200 के पहले प्रावधान का उल्लेख करते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि संविधान के विधानसभाओं द्वारा पारित किए जाने के बाद उन्हें सहमति के लिए भेजे गए विधेयकों पर राज्यपाल को देरी नहीं करनी चाहिए “जितनी जल्दी हो सके“ का विशेष संवैधानिक उद्देश्य है और संवैधानिक प्राधिकारी को इसे ध्यान में रखना चाहिए। लंबित नहीं रखना चाहिए। लेकिन भारतीय जनता पार्टी जहां पर भी विपक्ष में है इसी तरह राजभवन की आड़ में बैकडोर से चुनी हुई सरकार के महत्वपूर्ण विधेयक को रोकने का षड़यंत्र रच रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साजिश और षड्यंत्र के चलते ही छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक विगत 9 महिनों से राजभवन में लंबित है। भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ की स्थानीय आबादी को जिसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को 76 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है और इस हेतु भूपेश सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर विगत 2 दिसंबर 2022 को राज भवन भेजा है। छत्तीसगढ़ के सभी वर्गो और सर्व समाज के हित, शिक्षा, रोजगार के अधिकारों को प्रभावित करने वाले इस महत्वपूर्ण विधेयक को भारतीय जनता पार्टी के नेता राजभवन की आड़ में बाधित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के भाजपाईयों को अपने पाप याद आ रहे हैं। 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ़ हाईकोर्ट का फैसला भी भाजपा के अकर्मण्यता और षड्यंत्र का परिणाम है। 2012 से 2018 तक रमन सिंह की सरकार रही उसे दौरान हाई कोर्ट में मूल जवाब और संशोधित जवाब दोनों प्रस्तुत किए जा चुके थे और जिस ननकीराम और सीएस कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र तक शपथ पत्र में नहीं था और इसी आधार पर उच्च न्यायालय बिलासपुर में यह कहते हुए खारिज किया की रमन सरकार ने जानकारी और आंकड़े इरादतन षडयंत्र पूर्वक छुपाया है।

रमन सरकार को पर्याप्त अवसर मिला लेकिन दोनों  कमेटीयो के रिपोर्ट रमन सरकार ने दुर्भावना पूर्वक उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया। हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ भूपेश सरकार ने देश के नाम चिन वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में खड़ा किया और 58 प्रतिशत आरक्षण वर्तमान में बहाल हुआ है। भूपेश सरकार द्वारा विशेष सत्र में पारित आरक्षण विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिए 13 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को इस विधेयक में चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जन सरोकार तथा स्थानीय आबादी के सभी वंचितों के हितों में विधेयक लाया गया है। विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित सामाजिक न्याय के इस महत्वपूर्ण बिल को रोकना लोकतंत्र का अपमान और जनता के प्रति अपराध है जनहित के खिलाफ।