गांधीवादी का ढोंग रचने वाले मोदी यूएनओ में गांधी को भूल दीनदयाल का गुणगान कर रहे थे
रायपुर/02 अक्टूबर 2021। भारतीय जनता पार्टी के नेताओ द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर खादी के वस्त्र खरीदने और गांधी जयंती के दिन खादी पहनने को कांग्रेस ने गोंडसेवादियों का नया ढोंग बताया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि एक दिन खादी खरीद कर लेने से भाजपाइयों का आचरण नहीं बदलने वाला। भाजपा यदि वास्तव में गांधी जी और उनके आदर्शों के प्रति श्रद्धा का भाव रखती है तो गांधी के सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत को मानने की शुरूआत करने का साहस दिखायें।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपाईयों से गांधी जयंती के दिन खादी की वस्त्र धारण करने का अपील तो जारी करते है लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में महात्मा गांधी और भारत की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान विस्मृत कर दीनदयाल उपाध्याय का गुणगान करते रहे। दीनदयाल उपाध्याय भाजपा के पितृ पुरूष हो सकते है, जनसंघ और भाजपा की स्थापना और संगठन विस्तार में उनका योगदान हो सकता है लेकिन देश और दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी, के पासंग में भी नहीं ठहरते।
भारत को 150 वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी को दरकिनार कर सिर्फ क्षुद्र दलीय प्रतिबद्धता के कारण दीनदयाल उपाध्याय का राष्ट्र संघ में उल्लेख प्रधानमंत्री मोदी का महात्मा गांधी के प्रति विद्वेष ही प्रदर्शित हुआ है। संघ और संघ प्रशिक्षित भाजपाइ लगातार गांधीजी के प्रति यही विद्वेष का जहर अपने हृदय में रखते है। भारत जब आजाद हुआ तब दीनदयाल उपाध्याय 31 वर्ष के परिपक्व युवा थे लेकिन देश के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने कोई योगदान नहीं दिया। जब महात्मा गांधी करो या मरो का नारा दे रहे थे, जब वे अंग्रेजों भारत छोड़ों का नारा दे रहे थे या जब कांग्रेस बापू के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन चला रही थी जब भगत सिंह अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजा रहे थे जब सुभाष चंद्र बोस अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिंद फौज गठित कर लड़ रहे थे तब 31 वर्ष के युवा दीनदयाल उपाध्याय कहां थे? आजादी के लड़ाई में क्यों अनुपस्थित थे?
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपाई गोडसे को आदर्श मानने और गांधीवादी बनने का दोहरा आचरण अब बंद करें। भाजपा को यदि इस सच का अहसास हो गया हो कि गांधी की खिलाफत करके वे देश की जनता का समर्थन नहीं हासिल कर सकते तो सबसे पहले गांधीवादी को अंगीकार करने की सार्वजनिक घोषणा करें और गोंडसे और उसके हिंसक धर्मोन्मादी सिद्धांतों को तिलांजलि देने की स्पष्ट घोषणा करें।