रायपुर, 11 सितम्बर 2024 : छत्तीसगढ़ के लगभग 52 हजार आंगन बाड़ी केन्द्रों में महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने और उनके पोषण संबंधित देख-भाल के लिए समझाइश दी जा रही है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ को एनीमिया और कुपोषण मुक्त बनाने के लिए गांवों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा सुुपोषण रथ के माध्यम से जागरूकता लाई जा रही।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य के समस्त जनप्रतिनिधि, पंचायती राज संस्था प्रतिनिधि महिला स्व-सहायता समूहों, प्रबुद्ध वर्ग, विद्यार्थी वर्ग, सर्वाजनिक एवं निजी क्षेत्रों के निकायों के प्रतिनिधि एवं समस्त जनसमुदाय से अपील की है कि पोषण माह की गतिविधियों में पूरे उत्सह और ऊर्जा के साथ छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया मुक्त बनाने सहभागी बने।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक संचालित किए जा रहे हैं पोषण माह के दौरान इस वर्ष एनीमिया, वृद्धि निगरानी, पूरक पोषण आहार, पोषण भी पढ़ाई भी, गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदाय हेतु तकनीक का प्रयोग और समग्र पोषण पर ध्यान केंदित किया जा रहा है।
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में भी समूह बैठक में वजन त्यौहार के बारे में चर्चा की जा रही है। ग्रामीण महिलाओं से चर्चा के दौरान 0 से 06 साल के बच्चे, किशोरी बालिकाओं की खान-पान और स्वास्थ्य देखभाल के बारे में बताया जा रहा है। महिला बाल विकास की योजना की जानकारी देने के साथ ही गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भोजन में शामिल करने का आग्रह किया जा रहा है।
राष्ट्रीय पोषण माह के साथ ही 12 से 23 सितम्बर प्रदेश की आंगनबाड़ियों में वजन त्यौहार भी मनाया जाएगा। जिसके अंतर्गत बच्चों के वजन में बढ़ोत्तरी को मापने के साथ ही सामुदायिक जागरूकता का कार्य भी किया जाएगा। वजन त्यौहार के दौरान लिए गए बच्चों के वजन सहित अन्य विवरण को महिला और बाल विकास विभाग के मोबाइल ऐप पर दर्ज किया जाएगा।
इसी तरह, पोषण माह के दौरान सुपोषण चौपाल, अन्नप्राशन दिवस, परिवार चौपाल, पोषण मेला, व्यंजन प्रदर्शन जैसे आयोजन पंचायत और शहरी क्षेत्रों में किए जा रहे हैं। पोषण के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूलों में नारा लेखन, निबंध, चित्रकला और दीवार लेखन, स्पर्धाएं आयोजित की जा रही हैं। साथ ही स्वस्थ बालक-बालिका प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा रहा है। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत ग्राम पंचायत के सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्रों और शालाओं में पोषण वाटिका भी विकसित की जा रही है।