रेलवे रैक से नमक खाली करने वाले और ब्लीचिंग उद्योग के मजदूरों के जीवन के साथ हो रहा खिलवाड़।
अनूपपुर।प्राप्त जानकारी के अनुसार कागज कारखाना ओरियंट पेपर मिल अमलाई की आड़ पर सह उद्योग सोडा कास्टिक यूनिट हेवी केमिकल प्लांट निरंतर कागज कारखाना की शह पर दिन दूनी और रात चौगुनी उत्पादन कर करोड़ों रुपए कमा रही है किंतु यह बात निश्चित तौर पर सही मानी जा सकती है की वेलफेयर राशि का उपयोग इतने वर्षों से संचालित उद्योग के द्वारा आसपास के प्रभावित ग्रामों और ग्रामीण जनों के लिए मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं से बचने का प्रयास करते हुए जनहित में कोई कार्य न करना इनकी आदत में शुमार है।
मरकरी प्रदूषण से मुक्त हुए तो अब ब्लीचिंग उद्योग बना परेशानी का सबब।
जबकि इन उद्योगों के द्वारा उत्पादन का तीन परसेंट राशि जनहित में खर्च करना सुनिश्चित है किंतु इनके द्वारा बरसों से यहां के स्थानीय जनों को पूर्व में सेल हाउस प्लांट चलाने के लिए उपयोग की जाने वाली मरकरी सेल प्रदूषण की गिरफ्त में ग्रामीणों को धीमी जहर बांटी गई कलई खुलने पर इनके द्वारा सन 2012 में पूरे भारतवर्ष में उद्योगों में उपयोग की जाने वाली मरकरी को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया गया जिसकी वजह से इन संस्थानों के द्वारा निरंतर उपयोग किया जाता रहा जिसकी वजह से इस मरकरी प्रदूषण से अनभिज्ञ और अनजान बरगवां वासी एवं उद्योग के अंदर कार्यरत स्थाई श्रमिक अकुशल मजदूर ठेकेदारी मजदूर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से उद्योग के अंदर मजदूरी करने आ रहे मजदूरों के स्वास्थ्य के साथ चुपचाप कई प्रकार के रोगों जैसे लकवा ग्रस्त होना अस्थमा सांसो को लेने में परेशानी टीवी और कई ऐसे घातक बीमारियों के हवाले किया गया। मरकरी जैसी घातक रसायन के कारण क्रमशः परिवार के एक सदस्य में नपुंसकता जैसी घातक अनुवांशिक रोग का प्रभाव पूरे परिवार को प्रभावित करता है।
नमक रैक खाली करने के लिए आने वाले मजदूर पूर्व में भी हो चुके हैं मौत का शिकार
सोडा कास्टिक एसिड बनाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली नमक जोकि इनके द्वारा रेलवे रैक के माध्यम से यहां पर अनूपपुर जिले के राजेंद्रग्राम,लेढ़ रा, करपा के मजदूरों अकुशल श्रमिकों का उपयोग नियुक्त ठेकेदार के द्वारा बिना राज्य कर्मचारी बीमा और भविष्य निधि योजना का लाभ दिए बिना आए दिन उद्योग के अंदर सैकड़ों की संख्या में अवैधानिक रूप से प्रवेश देकर खाली कराए जाते हैं सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि यह कोई पहली घटना नहीं पूर्व में भी नमक कार्य खाली करते समय कई मजदूरों ने जान गवाई है। ठेकेदार के द्वारा अपने बस वाहन से जो कि विद्यालय के लिए बच्चों को लाने ले जाने का कार्य करती है उसी बस के माध्यम से इन मजदूरों को इनके ग्रह ग्राम से लाकर नमक रैक खाली कराने के लिए लाया जाता है।
जान जोखिम में डाल रहा प्रबंधन मजदूरों का नवनिर्मित ब्लीचिंग उद्योग
सोडा कास्टिक यूनिट ओरिएंट पेपर मिल के अंदर बिना अनुमति के उद्योग के कास्टिक एसिड बनाने के बाद ब चे अपशिष्ट पदार्थ चूने का उपयोग ब्लीचिंग पाउडर बनाने में किया जा रहा है जिसमें यह ब्लीचिंग उद्योग कुछ समय पूर्व ही निर्माण कार्य किया गया है।
विश्व स्त सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि इस ब्लीचिंग उद्योग ने घातक और खतरनाक अपशिष्ट अर्थात रिजेक्ट केमिकल युक्त चूने के माध्यम से ब्लीचिंग पाउडर निर्माण किया जाता है जिसकी दुर्गंध की वजह से वहां कार्यरत मजदूर कोई और नहीं उद्योग का कुशल श्रमिक इस उद्योग में कार्य नहीं करता बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के गरीब बेबस लाचार आमदनी के चक्कर में कम वेतन पर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। जबकि यह कार्य भी एक ही ठेकेदार के द्वारा संपादित किया जाता है जिसके द्वारा इन मजदूरों को निर्धारित मजदूरी भुगतान ना करके मजदूरों का भरपूर शोषण किया जाता है ज्ञात हो की इस ब्लीचिंग उद्योग के अंदर कार्य कर रहे मजदूरों को किसी भी प्रकार की सुरक्षा उपकरणों को उपलब्ध नहीं कराया जाता इसके उड़ते डस्ट नाक से सांस लेने पर शरीर के अंदर कई अंगों को प्रभावित करता है जिसकी वजह से आंखों में जलन, भूख न लगना, पेट में दर्द, नींद नहीं आना, खांसी सर्दी जैसी घातक बीमारियों के गिरफ्त में आए दिन मजदूर आ रहे हैं। पता चला है कि इस उद्योग में कार्य करने वाले ग्रामीण मजदूर कुछ महीने ही कार्य कर पाते हैं उसके बाद किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। इस प्रकार सोडा कास्टिक यूनिट प्रबंधक वर्ग और ठेकेदार के द्वारा गरीब मजदूरों की जिंदगी के साथ चंद रुपयों की चाहत में खिलवाड़ करने में लगी है।