लेखक: डाक्टर सुनिता जैन, योग चिकित्सक, आयुष योग वेलनेस सेंटर, शासकिय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल, रायपुर
रायपुर। मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है, जिसे अब गंभीरता से लेना समय की मांग है। योग एक ऐसा माध्यम है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यदि हम रोज़ाना कुछ समय योग और ध्यान को दें, तो न केवल हम मानसिक बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि एक सकारात्मक, आनंदमय और संतुलित जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक रोग आम होते जा रहे हैं। काम का दबाव, सामाजिक प्रतिस्पर्धा, रिश्तों में तनाव और अनियमित जीवनशैली हमारे मानसिक स्वास्थ्य को गहरे रूप से प्रभावित कर रही है। ऐसे समय में योग एक प्राकृतिक, सुलभ और प्रभावी उपाय के रूप में सामने आया है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक संतुलन को भी मज़बूती प्रदान करता है।
योग: केवल शारीरिक व्यायाम नहीं
बहुत से लोग योग को केवल शरीर को लचीला बनाने का साधन मानते हैं, परंतु वास्तव में योग एक सम्पूर्ण जीवनशैली है। पतंजलि योगसूत्र में योग को “चित्तवृत्ति निरोधः” कहा गया है, अर्थात योग मन की चंचलता को नियंत्रित करने का माध्यम है। योग के विभिन्न अंग — जैसे कि प्राणायाम, ध्यान (मेडिटेशन), और आसन — व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
तनाव को कम करने में योग की भूमिका –
आज का मनुष्य हर पल किसी न किसी तनाव से घिरा रहता है। प्राणायाम जैसे गहरी सांस लेने की विधियाँ तंत्रिका तंत्र को शांत करती हैं और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के अनुसार, नियमित योगाभ्यास से कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर कम होता है।इससे मानसिक हल्कापन महसूस होता है और सोचने-समझने की शक्ति बेहतर होती है
चिंता और अवसाद से राहत –
ध्यान (मेडिटेशन) और योग निद्रा जैसी विधियाँ मस्तिष्क में सकारात्मक न्यूरोट्रांसमीटर — जैसे कि सेरोटोनिन और डोपामिन — के स्राव को बढ़ावा देती हैं। ये रसायन मूड को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं और अवसाद व चिंता से लड़ने में मदद करते हैं। नियमित योगाभ्यास करने वालों में आत्मविश्वास, भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्पष्टता देखने को मिलती है।। Deep breathing (प्राणायाम) और mindfulness meditation से मस्तिष्क में GABA (Gamma Aminobutyric Acid) का स्तर बढ़ता है, जो चिंता और अवसाद को कम करता है
अनेक वैश्विक और भारतीय शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि योग का नियमित अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि योग थेरेपी, मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार में दवाओं के साथ-साथ सहायक भूमिका निभा सकती है।
नींद की गुणवत्ता में सुधार –
अनियमित नींद या अनिद्रा, मानसिक विकारों का बड़ा कारण है। योग निद्रा, शवासन, और ध्यान के माध्यम से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। AIIMS (नई दिल्ली) के एक अध्ययन में यह पाया गया कि नियमित योग से अनिद्रा से ग्रसित व्यक्तियों की नींद की अवधि और गहराई दोनों में सुधार हुआ।
ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि –
योगाभ्यास से मस्तिष्क के prefrontal cortex और hippocampus जैसे क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ती है, जो ध्यान और स्मृति से संबंधित हैं। यह विशेषकर छात्रों, प्रोफेशनलों और बुजुर्गों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका – महामारी के दौरान जब मानसिक स्वास्थ्य एक वैश्विक चुनौती बन गया, तब WHO और आयुष मंत्रालय ने योग को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने का एक प्रभावी उपाय माना। “Common Yoga Protocol” के माध्यम से लाखों लोगों ने मानसिक शांति पाई।
सरकारी प्रयास और नीति –
भारत सरकार ने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’, ‘आयुष मंत्रालय’, और ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ जैसे अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से योग को जन-जन तक पहुँचाया है। wellness centers NCDs and life style clinic ke madhyam se abhi Chhattisgarh me nihsulk yogabhyas n roganusar yogparamarsh sabhi jilo me diya jar raha hai मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता में योग को एक प्रमुख घटक के रूप में शामिल किया गया है।
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निष्कर्ष
योग मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक सरल, सुलभ और सशक्त उपाय है। वैज्ञानिक शोधों और अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि योग न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि संपूर्ण जीवन को संतुलन प्रदान करता है। आज के तनावग्रस्त समाज में योग को अपनाना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है।