कवर्धा की जनता शांति चाहती है भाजपा वहां अशांति फैलाने में लगी है
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी कवर्धा मामले में राजनैतिक रोटी सेकने की घृणित कुचेष्टा में लगी है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कवर्धा तनाव भाजपा की सांप्रदायिक षड़यंत्र का नतीजा है। कवर्धा की जनता शांति चाहती है भाजपा वहां अशांति फैलाने में लगी है। कवर्धा में शांति समिति की बैठक के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने शांति बहाल करने में प्रशासन के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया था। वहां के हालात भी नियंत्रण में थे। भारतीय जनता पार्टी, विहिप और आरएसएस के लोगों ने प्रशासन के रोक के बाद जबरिया रैली निकाल कर नारेबाजी कर माहौल को और तनावपूर्ण बनाने का प्रयास किया।
भाजपा द्वारा कवर्धा में बाहर से रायपुर, कुरूद, धमतरी, राजनांदगांव, दुर्ग के लोगों को लाकर माहौल खराब किया गया। भाजपा सोची समझी साजिश के तहत प्रदेश का धार्मिक सौहादर्य बिगाड़ने के प्रयास में लगी है। पहले प्रदेश में धर्मांतरण का झूठा माहौल बनाने की कोशिश की गयी। जब काल्पनिक धर्मांतरण के मुद्दे की हवा निकल गई तब भाजपा कवर्धा जैसे क्षेत्र को टारगेट करके सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कुचेष्टा में लग गई। भाजपा की यह कुचाल कभी सफल नहीं होगी। सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ कर राजनैतिक रोटी सेकना भाजपा की पुरानी फितरत है। कवर्धा में भी भाजपा यही कर रही है। वहां पर कर्फ्यू और धारा 144 लगी है लेकिन भाजपा के नेता वहां जबरिया जाना चाहते थे ताकि मीडिया अटेंशन मिल सके वहां के हालात में सुधार हो यह भाजपा नहीं चाहती। वहां जाकर भाजपा के वरिष्ठ नेता ओछी राजनीति कर रहे थे वे माहौल को सुधारने के बजाय और बिगाड़ने में लगे थे। आज तक भाजपा के किसी भी बड़े-छोटे नेता ने शांति और सौहादर्य बनाये रखने के लिये जनता के बीच कोई अपील नहीं जारी किया। भाजपा सांप्रदायिक तनाव को बिगाड़ कर ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। सांप्रदायिक तनाव छत्तीसगढ़ की तासीर नहीं रही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कवर्धा से विधायक मोहम्मद अकबर है जो अपने सांप्रदायिक सौहादर्य और भाई चारे के लिये जाने जाते है। प्रदेश की जनता ने देखा है 1992 में मोहम्मद अकबर ने राजधानी रायपुर के नई मंडी में भव्य विशाल राम मंदिर बनवा कर धार्मिक सद्भावना की मिशाल कायम किया था। आज भी मंडी के राम मंदिर में मोहम्मद अकबर के नाम की ज्योति दोनों नवरात्रि में जलती है। मंदिर की सारी व्यवस्था पुजारी आदि की पूरी व्यवस्था तीनों दशक से अकबर ही संभालते है। प्रशासन के सूझ-बूझ से कवर्धा के हालात अब सुधर रहे हैं।