नई दिल्ली: आज दिनांक 8 अगस्त 2025 को लोकसभा में माननीय श्री बृजमोहन अग्रवाल, सांसद (छत्तीसगढ़), द्वारा कार्यसूची के क्रम संख्या 7 के अंतर्गत एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतिवेदन सभा पटल पर प्रस्तुत किया गया। यह प्रतिवेदन संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल से संबंधित स्थायी समिति की रिपोर्ट संख्या 368 पर आधारित था।
इस प्रतिवेदन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के तहत शिक्षकों की क्षमता विकास के विषय को केंद्र में रखते हुए, अध्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकताओं और सरकार द्वारा अब तक की गई पहलों की समीक्षा की गई है।
माननीय सांसद श्री अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि –
“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता का मूल आधार ‘शिक्षक’ हैं। इसी सोच के तहत नीति में प्रस्तावित किया गया कि सभी शिक्षकों के लिए सतत व्यावसायिक विकास कार्यक्रम (CPD), राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षक प्रशिक्षण मंच (DIKSHA), और शिक्षकों की योग्यता बढ़ाने हेतु अनेक नवाचारात्मक प्रशिक्षण मॉडल विकसित किए जाएं।”
नीति के अंतर्गत यह भी तय किया गया कि वर्ष 2030 तक शिक्षकों की सभी नियुक्तियाँ B.Ed की चार वर्षीय समग्र डिग्री के माध्यम से हों, और प्रत्येक शिक्षक को वर्ष में 50 घंटे का स्किल अपग्रेडेशन ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से प्राप्त हो।
छत्तीसगढ़ पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए माननीय सांसद ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि –
“छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहाँ दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक चुनौती रही है, वहां शिक्षक प्रशिक्षण के इस नए ढांचे को ‘विद्यापीठ मॉडल’ के जरिए लागू करना समय की मांग है। इससे न केवल स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी बल्कि शिक्षा का स्तर भी व्यापक रूप से सुधरेगा।”
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस नीति के प्रशिक्षण संबंधी प्रावधानों को छत्तीसगढ़ में प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु विशेष बजटीय सहायता एवं संस्थागत समर्थन दिया जाए।
“उत्कृष्ट जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) ” का उद्देश्य देश के सभी कार्यरत डीआईईटी (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) को नवाचार और उत्कृष्टता के जिला- स्तरीय शैक्षिक केंद्रों में बदलना है।
(i) अत्याधुनिक कक्षाएँ, सर्व सुविधायुक्त प्रयोगशालाएँ और अत्याधुनिक डिजिटल पुस्तकालय सुविधाएँ प्रदान करने से अधिगम वातावरण में सुधार होगा;
(ii) रचनात्मक शिक्षण रणनीतियों और व्यक्तिगत अधिगम तकनीकों को सक्षम बनाने के लिए नवीनतम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और प्रौद्योगिकी उपकरणों को शामिल करना;
(iii) अनुसंधान और अभ्यास की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना;
(iv) शिक्षकों को निरंतर व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करना ताकि वे समकालीन शिक्षण विधियों के साथ समायोजन कर सकें;
(v) शिक्षा में अत्याधुनिक तकनीक के उपयोग के माध्यम से, छात्रों को एक डिजिटल और ज्ञान-आधारित समाज के लिए तैयार करना;
(vi) पर्याप्त बुनियादी ढाँचे और तकनीकी संसाधनों के प्रावधान के माध्यम से सीखने के लिए एक सहायक वातावरण स्थापित करना; और
(vii) सूचना साझा करने और संसाधन जुटाने के उद्देश्य से शिक्षा से जुड़े लोगों के बीच नेटवर्किंग और सहयोग को बढ़ावा देना।
स्कूली शिक्षा की एकीकृत योजना- समग्र शिक्षा के अंतर्गत डीआईईटी को जीवंत उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है। देश भर में कुल 613 कार्यात्मक डीआईईटी का अगले पाँच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 9,195 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से उन्नयीकरण किया जाएगा।
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दूसरे चरण (वित्त वर्ष 2025-26) के लिए स्वीकृत उत्कृष्ट डाइट्स छत्तीसगढ़
- डीआईईटी, बस्तर
- डीआईईटी, बीजापुर
- डीआईईटी, दुर्ग
- डीआईईटी, महासमुंद
- डीआईईटी, उत्तर (दरियागंज)
इस परियोजना के हिसाब से छत्तीसगढ़ प्रदेश के 9 संस्थानों को करीब 135 करोड़ रूपए की लागत से उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह पहल न केवल शिक्षकों को सशक्त करेगी, बल्कि छत्तीसगढ़ के भविष्य की नींव को भी शिक्षित और समृद्ध बनाएगी। यह कदम राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के एक नए युग का सूत्रपात करने की क्षमता रखता है।