रायपुर, 18 अगस्त 2025 : छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर में आज न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिए आयोजित 40 घंटे के व्यापक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ श्री रमेश सिन्हा, मुख्य न्यायाधिपति, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने किया।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री संजय के अग्रवाल, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण तथा न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, मध्यस्थता केंद्र निगरानी समिति भी गरिमामयी रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य न्यायाधिपति श्री सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि मध्यस्थता विवादों के त्वरित एवं सौहार्दपूर्ण समाधान का प्रभावी माध्यम है। यह न केवल न्यायालयों के बोझ को कम करता है बल्कि पक्षकारों को संतोषजनक परिणाम भी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अब तक 709 मामलों का सफल निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से किया जा चुका है, जो इसकी बढ़ती स्वीकार्यता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि 40 घंटे का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम, मध्यस्थता की प्रक्रिया, नैतिकता और व्यावहारिक पक्षों की गहन समझ प्रदान करेगा। इसमें प्रतिभागियों को वास्तविक मामलों का अध्ययन एवं भूमिका निर्वहन का अभ्यास कराया जाएगा, जिससे उनकी दक्षता में वृद्धि होगी।
उद्घाटन सत्र में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ओझा, न्यायमूर्ति भूपेन्द्र सिंह चौहान, न्यायमूर्ति वर्मेंद्र फडऩीस, अधिवक्ता परिषद मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री प्रफुल्ल भारत, मध्यस्थता प्रशिक्षक श्रीमती गिरीजाकला सिंह एवं श्रीमती नीलम खरे सहित बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, रजिस्ट्रार जनरल और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 से 22 अगस्त तक आयोजित होगा, जिसमें प्रतिभागियों को मध्यस्थता कौशल का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पहल से छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को नई मजबूती मिलेगी।
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