रायपुर, 15 सितम्बर 2025 : प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई नियद नेल्लानार योजना ने बस्तर के सुदूर और नक्सल प्रभावित गांवों में विकास की नई किरण जलाई है। इस योजना के तहत् सुरक्षा कैंपों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं।
नियद नेल्लानार जैसे विकास कार्यक्रमों और सुरक्षाबलों की रणनीति को और मजबूत करते हुए सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आदिवासियों का विश्वास बना रहे। नियद नेल्लानार योजना अंतर्गत शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के साथ-साथ माओवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए नक्सल पुनर्वास निती योजना लागू की गई, जो प्रभावी रूप से चेंजर साबित हो रही है।
नक्सल उन्मुलन अभियान और नियद नेल्लानार अंतर्गत जिले के अति संवेदनशील अंदरूनी क्षेत्र कस्तुरमेटा, मसपुर, ईरकभट्टी, मोहंदी, होरादी, गारपा, कच्चापाल, कोडलियर, कुतुल, बेड़माकोटी, पदमकोट, कान्दुलनार, नेलांगुर, पांगुड़, रायनार और 01 सितम्बर 2025 को एडजूम में 16वां नवीन सुरक्षा कैम्प स्थापित होने से पुलिस के बढ़ते प्रभाव व नक्सलियों के अमानवीय, आधारहीन विचारधारा एवं उनके शोषण, अत्याचार तथा बाहरी नक्सलियों के द्वारा भेदभाव करने तथा स्थानीय आदिवासियों पर होने वाले हिंसा से तंग आकर 10 सितम्बर 2025 को पुलिस अधीक्षक नारायणपुर श्री रोबिनसन गुड़िया के समक्ष जनताना सरकार सदस्य (सीएनएम अध्यक्ष), पंचायत मिलिसिया डिप्टी कमांडर, पंचायत सरकार सदस्य, पंचायत मिलिसिया सदस्य और न्याय शाखा अध्यक्ष सहित 16 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
नक्सलियों के सैफ हाऊस लंका और डूंगा जैसे घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं। जनताना सरकार सदस्य, पंचायत मिलिसिया डिप्टी कमांडर, पंचायत सरकार सदस्य, पंचायत मिलिसिया सदस्य और न्याय शाखा अध्यक्ष सहित 16 माओवादियों ने समाज की मुख्य धारा में जुड़ने की शपथ ली। वर्ष 2025 में कुल 164 बड़े छोटे कैडर के माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पित माओवादियों को प्रोत्साहन राशि 50 हजार रूपये का चेक प्रदाय किया गया और उन्हें नक्सल उन्मूलन नीति के तहत् मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं भी दी जा रही है।
सरेण्डर नक्सलियों ने इंट्रोगेशन में खुलासा किया कि शीर्ष कैड़र के माओवादी लीडर्स आदिवासियों के सबसे बड़े और असली दुश्मन, समानता और न्याय के झूठे सपने दिखाकर बस्तर के लोगों गुलाम बनाते हैं। हालांकि इन माओवादियों का पद ओहदे में छोटा होता है किन्तु ये नक्सलवाद को पोषित करने और बनाए रखने के लिए अहम किरदार निभाते हैं। ये माओवादी लड़ाकू माओवादियों के लिए राशन और मेडिसन जैसे मूलभूत सामग्री उपलब्ध कराने का काम अवैतनिक तरीके से करते हैं तथा कतिपय मामलों में नक्सलियों के हथियार और सामग्रियों का परिवहन करते हैं और आईईडी लगाने, फोर्स मूवमेंट कि सूचना देने और फोर्स की रेकी करने जैसे कार्य प्रमुखता से करते हैं।
स्पष्ट शब्दों में कहें तो ये नक्सलियों के लिए स्लीपर सेल की तरह भी काम करते हैं। आत्मसमर्पित माओवादी नक्सली ने इंट्रोगेशन के दौरान खुलासा किया कि शीर्ष कैड़र के माओवादी लीडर्स आदिवासियों के सबसे बड़े और असली दुश्मन हैं, वो आदिवासियों के सामने उनके जल, जंगल और जमीन की रक्षा, समानता का अधिकार और न्याय दिलाने, जैसे दर्जनों झूठे सपने दिखाकर बस्तर के लोगों गुलाम बनाते हैं। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादी नक्सलियों को अच्छी जिंदगी जीने के लिये 50-50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया। आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत् मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाया जायेगा।
एसपी नारायणपुर श्री रोबिनसन गुरिया ने कहा कि अबूझमाड़ दुर्गम जंगल एवं विकट भौगोलिक परिस्थतियों में रहने वाले मूल निवासियों को नक्सलवादी विचारधारा से बचाना और उन्हें माओवादी सिद्धांतो के आकर्षण से बाहर निकालना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है, ताकि क्षेत्र में विकास एवं शांति कायम हो सके। हम सभी नक्सली भाई-बहनों से अपील करते हैं कि उनका बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा को त्याग कर शासन की आत्म समर्पण पुर्नवास नीति को अपनाकर समाज की मुख्यधारा से जुड़कर हथियार एवं नक्सलवाद विचारधारा का पूर्णतः त्याग एवं विरोध करें।
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अब समय माड़ को वापस उसके मूलवासियों को सौंप देने का है जहाँ वे निर्भीक रूप से सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। पुलिस महानिरीक्षक श्री सुन्दरराज पी. ने कहा कि वर्ष 2025 में माआवेादी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व को सुरक्षा बलो के द्वारा भारी क्षति पहुंचाई गई है। प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादियों संगठन के पास अब हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करने के अलावा और कोई विकल्प नही बचा है। अतः माओवादी संगठन से अपील है कि वे तत्काल हिंसात्मक गतिविधियों को छोड़कर समाज की मुख्य धारा में जुड़ें।