डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वदेशी उपकरणों को प्रोत्साहन देने के लिए मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान में ‘दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र’ का उद्घाटन किया

नई दिल्ली , 24 सितम्बर 2025(PIB) : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली स्थित मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एमएआईडीएस) में दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र का उद्घाटन किया। यह केंद्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से स्थापित किया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वहां उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि यह नई सुविधा दंत चिकित्सा क्षेत्र के प्रबंधन शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है और यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा विज्ञान के प्रत्येक क्षेत्र में अपनाए गए प्रगतिशील दृष्टिकोण के अनुरूप भी है। उन्होंने उल्लेख किया कि यह केंद्र न केवल अनुसंधान बल्कि निदान एवं उपचार के लिए भी किफायती समाधान प्रदान करेगा। श्री सिंह ने कहा कि यह आयातित दंत प्रत्यारोपण एवं उपकरणों पर निर्भरता को कम करते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को सुदृढ़ करेगा।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह हब एक समावेशी सुविधा के रूप में तैयार किया गया है, जो नवप्रवर्तकों, स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई के लिए नए अवसर सृजित करेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से यह पहल ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण राष्ट्र’ की उस अवधारणा को साकार करती है, जिसे सरकार पिछले 11 वर्षों से आगे बढ़ा रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पुराने समय को याद करते हुए कहा कि पहले के समय में हमारे देश में अधिकांश दंत एवं चिकित्सा प्रत्यारोपण आयात पर निर्भर थे, लेकिन अब यह संतोष है कि भारतीय संस्थान वैश्विक मानकों के अनुरूप सिंथेटिक और जैव-अवनमनीय (स्वाभाविक तरीके से सड़नशील) सामग्री का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विशिष्ट चिकित्सा प्रक्रियाओं में लगभग एक दशक तक पीछे रहने के बाद आज भारत विश्व स्तरीय केंद्र के रूप में उभर चुका है, जो चिकित्सा पर्यटन को भी आकर्षित कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 और चिकित्सा उपकरण नियम 2017 जैसे सुधारों के माध्यम से एक सक्षम इकोसिस्टम के निर्माण हेतु सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन गतिविधियों का उद्देश्य देशभर में किफायती और अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देना है। केंद्रीय मंत्री ने स्वास्थ्य सेवा में ‘जागरूकता, पहुंच और सामर्थ्य’ के महत्व पर जोर भी दिया। उन्होंने कहा कि लागत-प्रभावशीलता एवं पहुंच को सुदृढ़ करने के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है, लेकिन आमजन के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य को प्राप्त करने में और अधिक प्रयास करना आवश्यक हैं।

डॉ सिंह ने बताया कि सरकार ने स्नातक स्तर पर लगभग 1,000 और स्नातकोत्तर स्तर पर करीब 5,000 नई मेडिकल सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिसमें दंत चिकित्सा विज्ञान भी शामिल है। उन्होंने इस पहल में सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के हितधारकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि सतत प्रगति के लिए दोनों के बीच समन्वय एवं एकीकरण अनिवार्य है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण दंत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल में बढ़ती मांग की ओर ध्यान आकर्षित किया और अंतःविषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि दंत चिकित्सा विज्ञान अब एंडोक्राइनोलॉजी, हृदय रोग और मधुमेह प्रबंधन जैसी अन्य विशेषज्ञताओं के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। उन्होंने एआई उपकरणों के उपयोग की भी सराहना करते हुए यह सुझाव दिया कि इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ समन्वय करके नवाचार आधारित इकोसिस्टम को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है।

अपने संबोधन के समापन पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह नया हब 2047 के दंत चिकित्सकों को विकसित भारत के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, ‘यदि हमें विकसित भारत के लिए मजबूती सुनिश्चित करनी है, तो इस तरह के संस्थान ही इसका आधार बनेंगे।

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उद्घाटन समारोह में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर, डीएचआर सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, एमएआईडीएस की निदेशक-प्रधानाचार्य डॉ. अरुणदीप कौर लांबा तथा दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव श्री धर्मेंद्र भी उपस्थित थे।