प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 1,22,100 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का उद्घाटन और शिलान्यास किया

नई दिल्ली, 26 सितंबर 2025(PIB) : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 1,22,100 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का उद्घाटन और शिलान्यास किया। नवरात्रि के चौथे दिन, प्रधानमंत्री ने बांसवाड़ा में माँ त्रिपुरा सुंदरी की पावन धरती पर आने को अपना सौभाग्य कहा। उन्होंने बताया कि उन्हें कांठल और वागड़ की गंगा कही जाने वाली माँ माही के दर्शन करने का भी अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने कहा कि माही का जल भारत के जनजातीय समुदायों के लचीलेपन और संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने महायोगी गोविंद गुरु जी के प्रेरक नेतृत्व पर प्रकाश डाला, जिनकी विरासत आज भी गूंजती है और माही का पवित्र जल उस महान गाथा का साक्षी है। श्री मोदी ने माँ त्रिपुरा सुंदरी और माँ माही को नमन किया और भक्ति एवं वीरता की इस भूमि से उन्होंने महाराणा प्रताप और राजा बांसिया भील को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

श्री मोदी ने कहा कि नवरात्रि के दौरान, देश में शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और बांसवाड़ा में आज का प्रमुख कार्यक्रम ऊर्जा शक्ति – ऊर्जा उत्पादन को समर्पित है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राजस्थान की धरती से भारत के बिजली क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में 90,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली परियोजनाओं के शुभारंभ की घोषणा की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इतने बड़े पैमाने पर परियोजनाओं का एक साथ आरंभ होना ऊर्जा क्षेत्र में भारत की तेज़ी से हो रही प्रगति की झलक दिखाता है, जिसमें देश का हर क्षेत्र सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है और सभी राज्यों को प्राथमिकता दी जा रही है। राजस्थान में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं और पारेषण लाइनों की आधारशिला रखी गई है। श्री मोदी ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया और बांसवाड़ा में राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना के शुभारंभ की घोषणा की। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सौर ऊर्जा से लेकर परमाणु ऊर्जा तक, भारत बिजली उत्पादन क्षमता में नई ऊँचाइयों को छू रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज के तकनीक और उद्योग के युग में, विकास बिजली की शक्ति पर निर्भर करता है; बिजली प्रकाश, गति, प्रगति, संपर्क और वैश्विक पहुँच लाती है।” उन्होंने बिजली के महत्व की उपेक्षा करने के लिए पिछली सरकारों की आलोचना की। श्री मोदी ने कहा कि जब 2014 में उनकी सरकार सत्ता में आई थी, तब 2.5 करोड़ घरों में बिजली के कनेक्शन नहीं थे और आज़ादी के 70 साल बाद भी, 18,000 गाँवों में एक भी बिजली का खंभा नहीं लगा था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बड़े शहरों में घंटों बिजली कटौती होती थी और गाँवों में तो 4-5 घंटे बिजली भी महत्वपूर्ण मानी जाती थी। बिजली की अनुपस्थिति ने कारखानों के संचालन और नए उद्योगों की स्थापना में बाधा डाली, जिसका असर राजस्थान जैसे राज्यों और पूरे देश पर पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में उनकी सरकार ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि हर गाँव तक बिजली पहुँचाई गई और 2.5 करोड़ घरों को मुफ्त कनेक्शन दिए गए। जहाँ भी बिजली की लाइनें पहुँचीं, वहाँ बिजली पहुँची—जिससे जीवन आसान हुआ और नए उद्योगों का विकास संभव हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश को 21वीं सदी में तेज़ी से विकास करने के लिए, अपने बिजली उत्पादन को बढ़ाना होगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सबसे सफल देश वे होंगे जो स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी होंगे। श्री मोदी ने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना की शुरुआत की घोषणा करते हुए जोर देकर कहा, “हमारी सरकार स्वच्छ ऊर्जा मिशन को एक जन आंदोलन में बदल रही है।” इस योजना के तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में छतों पर सौर पैनल लगाए जा रहे हैं। किसानों को सस्ती बिजली सुनिश्चित करने के लिए, पीएम-कुसुम योजना कृषि क्षेत्रों में सौर पंपों की स्थापना की सुविधा प्रदान कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विभिन्न राज्यों में अनेक सौर परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है, जिससे लाखों किसानों को सीधे लाभ हो रहा है। उन्होंने दोहराया कि पीएम सूर्य घर योजना घरों के लिए मुफ़्त बिजली प्रदान करती है, जबकि पीएम-कुसुम योजना खेतों के लिए मुफ़्त बिजली सुनिश्चित करती है। श्री मोदी ने पीएम-कुसुम योजना के लाभार्थियों के साथ अपनी पिछली बातचीत साझा की, जिन्होंने उन्हें बताया कि सौर ऊर्जा से चलने वाली मुफ़्त बिजली उनके जीवन में एक बड़ा वरदान बन गई है।

श्री मोदी ने कहा, “भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है और राजस्थान इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।” उन्होंने राजस्थान के लोगों के लिए 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त परियोजनाओं की शुरुआत की घोषणा की, जिनका उद्देश्य पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार लाना है। प्रधानमंत्री ने वंदे भारत सेवा सहित तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने नए रोज़गार के अवसर पैदा करने के राष्ट्रव्यापी अभियान पर प्रकाश डाला, जिसके तहत आज राजस्थान में 15,000 युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र मिले। श्री मोदी ने इन युवाओं को अपने जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत के लिए शुभकामनाएँ दीं और इन विकास पहलों के शुभारंभ पर राजस्थान के लोगों को बधाई दी।

राजस्थान में उनकी सरकार द्वारा राज्य के विकास के लिए पूरी निष्ठा से काम किए जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों द्वारा कुशासन और शोषण के माध्यम से राजस्थान को दिए गए घाव अब वर्तमान सरकार द्वारा भरे जा रहे हैं। श्री मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्ष के शासन में, राजस्थान पेपर लीक का केन्‍द्र बन गया था और जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार चरम पर थे और अपराधियों को संरक्षण दिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि विपक्ष के कार्यकाल के दौरान, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जैसे क्षेत्रों में अपराध और अवैध शराब के व्यापार में वृद्धि देखी गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब जनता ने उन्हें मौका दिया, तो कानून-व्यवस्था मजबूत हुई और विकास की गति तेज हुई। उन्होंने कहा कि अब बड़ी परियोजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है और पूरे राजस्थान में राजमार्गों और एक्सप्रेसवे का जाल फैल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार राजस्थान, विशेषकर दक्षिणी राजस्थान को विकास के तीव्र पथ पर अग्रसर कर रही है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज जयंती का उल्लेख करते हुए, जिन्होंने देश को अंत्योदय का सिद्धांत दिया – समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का उत्थान – श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि यह कल्‍पना अब सरकार का मिशन बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन गरीबों, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए गहरी सेवा भावना से काम कर रहा है।

आदिवासी समुदाय की लगातार उपेक्षा और उनकी ज़रूरतों को समझने में नाकाम रहने के लिए विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने ही एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना करके जनजातीय कल्याण को प्राथमिकता दी। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल में पहली बार जनजातीय मामलों के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के शासन में, इतने बड़े पैमाने की परियोजनाओं का जनजातीय क्षेत्रों तक पहुँचना अकल्पनीय था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के तहत, ये विकास अब हकीकत बन रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के धार में एक बड़े पीएम मित्र पार्क के शुभारंभ की घोषणा की, जिससे आदिवासी किसानों को सार्थक लाभ होगा।

श्री मोदी ने उल्लेख किया कि उनकी पार्टी के प्रयासों से ही एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनी हैं। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि राष्ट्रपति महोदया ने स्वयं सबसे हाशिए पर पड़े जनजातीय समुदायों का मुद्दा उठाया था, जिससे प्रधानमंत्री जनमन योजना शुरू करने की प्रेरणा मिली। इस पहल के तहत, जनजातीय समाज के सबसे वंचित वर्गों को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के माध्यम से आदिवासी गाँवों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है, जिससे पाँच करोड़ से ज़्यादा आदिवासी लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि देश भर में सैकड़ों एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार ने वनवासियों और अनुसूचित जनजातियों के वन अधिकारों को भी मान्यता दी है।

श्री मोदी ने कहा, “भारत का जनजातीय समुदाय हज़ारों वर्षों से वन संसाधनों का निरन्‍तर उपयोग करता आ रहा है।” यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये संसाधन उनकी प्रगति का साधन बनें, सरकार ने वन धन योजना शुरू की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वन उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की गई है और आदिवासी उत्पादों को बाज़ार तक पहुँच से जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, भारत में देश भर में वन उपज में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है।

आदिवासी समुदाय के सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी आस्था, स्वाभिमान और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना एक गंभीर संकल्प है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब एक आम नागरिक का जीवन आसान हो जाता है, तो वे स्वयं राष्ट्र की प्रगति में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने 11 साल पहले विपक्ष के शासन के दौरान की भयावह परिस्थितियों को याद किया और इसके लिए नागरिकों के शोषण और व्यवस्थित लूट को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि उस दौरान कर और मुद्रास्फीति रिकॉर्ड ऊँचाई पर थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार जनता ने उनकी सरकार को आशीर्वाद दे दिया, तो विपक्ष की शोषणकारी कार्य प्रणाली का अंत हो गया।

श्री मोदी ने कहा कि 2017 में जीएसटी के कार्यान्वयन ने देश को करों और टोल के जटिल जाल से मुक्ति दिलाई। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस वर्ष नवरात्रि के पहले दिन, एक बड़ा जीएसटी सुधार लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप पूरे भारत में जीएसटी बचत उत्सव मनाया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि रोज़मर्रा की ज़्यादातर चीज़ें अब ज़्यादा सस्ती हो गई हैं। उपस्थित महिलाओं की विशाल सभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि घरेलू रसोई का खर्च काफ़ी कम हो गया है, जिससे देश भर की माताओं और बहनों को सीधी राहत मिली है।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि 2014 से पहले, विपक्षी सरकार के अंतर्गत करों की दरें अधिक होने के कारण साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट और टूथ पाउडर जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर ₹100 खर्च करने पर कुल लागत ₹131 होती थी, श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष ने प्रत्येक ₹100 की खरीद पर ₹31 कर लगाया। 2017 में जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ, उन्हीं ₹100 मूल्य के सामान की कीमत ₹118 हो गई, जो उनकी सरकार के अंतर्गत ₹13 की प्रत्यक्ष बचत को दर्शाता है। 22 सितम्‍बर को पेश किए गए जीएसटी सुधारों के बाद, लागत और घटकर ₹105 हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप पिछली सरकार के दौर की तुलना में कुल ₹26 की बचत हुई है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि माताएं और बहनें घरेलू बजट का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करती हैं, और नई कर व्यवस्था के तहत, परिवार अब हर महीने सैकड़ों रुपये बचा रहे हैं।

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि जूते-चप्पल सभी के लिए एक बुनियादी ज़रूरत हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल में, ₹75 कर के बोझ के कारण ₹500 के जूते खरीदने पर ₹575 का खर्च आता था। जीएसटी लागू होने के बाद, यह कर ₹15 कम हो गया है। नवीनतम जीएसटी सुधारों के बाद, वही जूता अब ₹50 कम कीमत का हो गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पहले ₹500 से ज़्यादा कीमत वाले जूतों पर और भी ज़्यादा कर लगते थे। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार ने अब ₹2,500 तक के जूतों पर कर की दरों में काफ़ी कमी की है, जिससे ये आम नागरिकों के लिए ज़्यादा किफ़ायती हो गए हैं।

श्री मोदी ने आगे कहा कि स्कूटर या मोटरसाइकिल का मालिक होना हर घर की आम ख्वाहिश होती है, लेकिन विपक्ष के शासन में यह भी पहुँच से बाहर हो गया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि विपक्ष ने ₹60,000 की मोटरसाइकिल पर ₹19,000 से ज़्यादा का टैक्स लगाया था। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद, इस टैक्स में ₹2,500 की कमी की गई। 22 सितम्‍बर को लागू की गई संशोधित दरों के बाद, अब उसी मोटरसाइकिल पर केवल ₹10,000 का टैक्स लगता है—जिससे 2014 की तुलना में ₹9,000 का सीधा लाभ हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल में घर बनाना बेहद महंगा था। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि 300 रुपये के सीमेंट के एक बैग पर 90 रुपये से ज़्यादा कर लगता था। 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद, इस कर में लगभग 10 रुपये की कमी आई। 22 सितम्‍बर को लागू हुए नवीनतम जीएसटी सुधारों के बाद, अब उसी सीमेंट के बैग पर केवल 50 रुपये कर लगता है—जिससे 2014 की तुलना में 40 रुपये की सीधी बचत हुई है। श्री मोदी ने कहा कि जहाँ विपक्षी दल के शासनकाल में अत्यधिक कर लगाया जाता था, वहीं उनकी सरकार ने आम नागरिकों के लिए बचत के युग की शुरुआत की है।

जीएसटी बचत महोत्सव के बीच इस बात पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के मंत्र को नहीं भूलना चाहिए। श्री मोदी ने आग्रह किया कि हम जो बेचते हैं वह स्वदेशी होना चाहिए और जो हम खरीदते हैं वह भी स्वदेशी होना चाहिए। उन्होंने नागरिकों को गर्व से यह घोषणा करने के लिए प्रोत्साहित किया, “यह स्वदेशी है।” प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि जब लोग स्वदेशी उत्पाद खरीदते हैं, तो पैसा देश के भीतर ही रहता है – स्थानीय कारीगरों, श्रमिकों और व्यापारियों तक पहुंचता है। यह पैसा विदेश जाने के बजाय सीधे राष्ट्रीय विकास में योगदान देता है, नए राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में मदद करता है। उन्होंने सभी से स्वदेशी को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से त्योहारों के मौसम में केवल स्वदेशी सामान खरीदने का संकल्प लेने की अपील की और एक बार फिर विकास और रोजगार से जुड़ी परियोजनाओं के शुभारंभ पर अपनी बधाई दी।

इस कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, केन्‍द्रीय मंत्री श्री प्रहलाद जोशी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्‍ठभूमि

सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय और टिकाऊ बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत के बिजली क्षेत्र को बदलने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने लगभग 42,000 करोड़ रुपये की अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (अश्विनी) की माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना (4X700 मेगावाट) की आधारशिला रखी। यह देश के सबसे बड़े परमाणु संयंत्रों में से एक होगी जो विश्वसनीय आधार भार ऊर्जा की आपूर्ति करेगा और पर्यावरण संरक्षण और विकसित परमाणु ऊर्जा परिदृश्य में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी। आत्मनिर्भर भारत की भावना को आगे बढ़ाते हुए, माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना में एनपीसीआईएल द्वारा डिजाइन और विकसित उन्नत सुरक्षा सुविधाओं के साथ चार स्वदेशी 700 मेगावाट दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर शामिल हैं। यह भारत की व्यापक “फ्लीट मोड” पहल का हिस्सा है, जिसके तहत पूरे भारत में एक समान डिज़ाइन और खरीद योजनाओं के तहत दस समान 700 मेगावाट क्षमता के रिएक्टर बनाए जा रहे हैं। इस परियोजना से लागत दक्षता, तेज़ तैनाती और समेकित परिचालन विशेषज्ञता प्राप्त होगी।

भारत के स्वच्छ ऊर्जा ढांचे को प्रोत्‍साहित करते हुए, प्रधानमंत्री ने राजस्थान में लगभग 19,210 करोड़ रुपये की हरित ऊर्जा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने फलौदी, जैसलमेर, जालौर, सीकर आदि स्थानों पर सौर परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने बीकानेर में भी एक सौर परियोजना की आधारशिला रखी। इसके अतिरिक्त, वह आंध्र प्रदेश के रामागिरी में एक सौर पार्क की भी आधारशिला रखेंगे। ये परियोजनाएँ भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान देंगी, जिससे लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोक कर पर्याप्त मात्रा में हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा।

प्रधानमंत्री ने भारत सरकार की नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र (आरईजेड) पहल के तहत 13,180 करोड़ रुपये से अधिक की तीन विद्युत पारेषण परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जिसका उद्देश्य 2030 तक आठ राज्यों में 181.5 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करना है। इस नवीकरणीय ऊर्जा का भार केन्‍द्रों तक कुशल वितरण सुनिश्चित करने और ग्रिड स्थिरता बढ़ाने के लिए, पावरग्रिड, राजस्थान आरईजेड के लिए प्रमुख पारेषण प्रणालियों को लागू कर रहा है।

इसमें राजस्थान के ब्यावर से मध्य प्रदेश के मंदसौर तक 765 केवी ट्रांसमिशन लाइनें और संबंधित सबस्टेशनों का विस्तार; राजस्थान के सिरोही से मंदसौर और मध्य प्रदेश के खंडवा तक, साथ ही सिरोही सबस्टेशन की रूपांतरण क्षमता में वृद्धि और मंदसौर व खंडवा सब स्टेशनों का विस्तार; और राजस्थान के बीकानेर से हरियाणा के सिवानी और फतेहाबाद और आगे पंजाब के पटरान तक 765 केवी और 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन, साथ ही बीकानेर में सब स्टेशनों की स्थापना और सिवानी सब स्टेशन का विस्तार शामिल है। कुल मिलाकर, ये परियोजनाएँ राजस्थान के उत्पादन केन्‍द्रों से भारत भर के लाभार्थी राज्यों के मांग केन्‍द्रों तक 15.5 गीगावाट हरित ऊर्जा के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री ने जैसलमेर और बीकानेर में तीन ग्रिड सब स्टेशनों (जीएसएस) की आधारशिला रखी, जिनमें 220 केवी और संबंधित लाइनें शामिल हैं। वे बाड़मेर जिले के शिव में 220 केवी जीएसएस का भी उद्घाटन करेंगे। 490 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली ये परियोजनाएँ क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी।

किसानों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) योजना (घटक ग) के अंतर्गत राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में 16,050 करोड़ रुपये से अधिक लागत की 3517 मेगावाट की फीडर स्तरीय सौरीकरण परियोजनाओं का उद्घाटन किया। कृषि फीडरों का सौरीकरण किफायती, विश्वसनीय और टिकाऊ सिंचाई बिजली सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है, जिससे लाखों किसानों को बिजली की लागत कम करने, सिंचाई खर्च में कटौती करने और ग्रामीण ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

रामजल सेतु लिंक परियोजना को बढ़ावा देने और जल सुरक्षा के अपनी कल्‍पना को आगे बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री ने राजस्थान में 20,830 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई जल संसाधन परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। वह ईसरदा से विभिन्न फीडरों के निर्माण, अजमेर जिले में मोर सागर कृत्रिम जलाशय के निर्माण और चित्तौड़गढ़ से इसके फीडर का शिलान्यास करेंगे। अन्य कार्यों में बीसलपुर बांध में इंटेक पंप हाउस, खारी फीडर का पुनरुद्धार और विभिन्न अन्य फीडर नहर निर्माण कार्य शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने ईसरदा बांध, धौलपुर लिफ्ट परियोजना, टाकली परियोजना आदि का भी उद्घाटन किया।

सभी के लिए सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 2.0 के अंतर्गत बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, सवाई माधोपुर, चूरू, अजमेर, भीलवाड़ा जिलों में 5,880 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली प्रमुख पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं की आधारशिला रखी।

सड़क बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देते हुए, प्रधानमंत्री ने भरतपुर शहर में फ्लाईओवर, बनास नदी पर एक पुल और 116 अटल प्रगति पथ परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने बाड़मेर, अजमेर, डूंगरपुर जिलों सहित अन्य जिलों में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से संबंधित कई सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित भी किया। 2,630 करोड़ रुपये से अधिक की ये परियोजनाएँ क्षेत्रीय सड़क संपर्क में सुधार करेंगी, सुगम यातायात सुनिश्चित करेंगी और सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देंगी।

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प्रधानमंत्री ने भरतपुर में 250 बिस्तरों वाले आरबीएम अस्पताल, जयपुर में आईटी विकास और ई-गवर्नेंस केन्‍द्र, मकराना शहर में ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशनों सहित सीवरेज प्रणाली तथा मंडावा और झुंझुनू जिले में सीवरेज और जलापूर्ति परियोजना का भी उद्घाटन किया।

रेल संपर्क को बढ़ावा देते हुए, प्रधानमंत्री ने तीन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया: बीकानेर और दिल्ली कैंट के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन, जोधपुर और दिल्ली कैंट के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन और उदयपुर सिटी-चंडीगढ़ एक्सप्रेस। ये ट्रेनें राजस्थान और अन्य उत्तरी राज्यों के बीच संपर्क में उल्लेखनीय सुधार लाएँगी।

सभी के लिए रोज़गार के अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, राजस्थान के सरकारी विभागों और संगठनों में नवनियुक्त 15,000 से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए गए। इनमें 5770 से अधिक पशुपालक, 4190 कनिष्ठ सहायक, 1800 कनिष्ठ प्रशिक्षक, 1460 कनिष्ठ अभियंता, 1200 तृतीय श्रेणी लेवल-2 शिक्षक आदि शामिल हैं।