आईआईएम रायपुर में हिन्दी पखवाड़ा 2025 का समापन, भाषा को शोध और मौलिकता से जोड़ने पर बल

रायपुर, 26 सितंबर 2025(PIB) : भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) रायपुर ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और संवर्धन के उद्देश्य से 15 से 30 सितम्बर तक ‘हिन्दी पखवाड़ा 2025’ का आयोजन किया। इस पखवाड़े के अंतर्गत हिन्दी काव्य-पाठ प्रतियोगिता और वृक्षारोपण जैसे विविध कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें छात्रों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आईबीसी24 के सहयोगी संपादक एवं लेखक श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव उपस्थित रहे। निदेशक-प्रभारी प्रोफेसर संजीव पराशर, प्रोफेसर जागरूक डावरा और प्रोफेसर दामिनी सैनी ने भी समारोह को संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, इसके बाद निदेशक-प्रभारी प्रो. पराशर ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

अपने उद्बोधन में श्री बरुण सखाजी श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्येक भारतीय भाषा का महत्व है और हिन्दी का उत्सव मनाना अन्य भाषाओं के महत्व को कम नहीं करता। उन्होंने कहा, “भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के मूल्यों और सरलता का प्रतिबिंब है।” श्रीवास्तव ने हिन्दी की अनुकूलनशीलता और समावेशी स्वभाव की सराहना करते हुए कहा कि हिन्दी का लहजा हर 20 किलोमीटर पर बदलता है, जो उसकी भाषाई समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता का प्रमाण है। उन्होंने हिन्दी में मौलिक शोध की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि मौलिक शब्दों का संरक्षण जरूरी है, जैसे योग विद्या आज भी संस्कृत शब्द के रूप में विश्वभर में सुरक्षित है।

निदेशक-प्रभारी प्रो. संजीव पराशर ने अपने संबोधन में कहा कि “हिन्दी केवल भाषा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक पहचान, एकता और राष्ट्रीय एकीकरण का प्रतीक है।” उन्होंने संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दी विभिन्न भाषाई क्षेत्रों को जोड़ने का सेतु है। प्रो. पराशर ने कहा कि प्रबंधन संस्थानों की जिम्मेदारी है कि हिन्दी को ज्ञान, शोध और प्रशासन की भाषा के रूप में आगे बढ़ाएँ।

प्रो. जागरूक डावरा ने अपने वक्तव्य में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के विचारों को दोहराते हुए कहा कि हिन्दी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसे हिन्दी अधिकारी श्री अश्विन भारद्वाज ने प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य अतिथि, सभी प्रोफेसरों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों का आभार व्यक्त किया।

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