रायपुर।1 अगस्त 2025 का दिन मेरे प्रशासनिक जीवन की स्मृतियों में विशेष स्थान रखता है, जब मुझे राजभवन के संवैधानिक प्रकोष्ठ में उप सचिव के रूप में प्रतिनियुक्ति का उत्तरदायित्व प्राप्त हुआ। नई व्यवस्था, नया वातावरण, दायित्वों का विस्तार और राजभवन की दीर्घकालिक गरिमामयी परंपरा—इन सबके बीच काम करते हुए मुझे यह भी सौभाग्य मिला कि छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल श्री रमन डेका के साथ कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ। उनकी सरलता, प्रशासनिक दृष्टि और संवेदनशील नेतृत्व ने इस दायित्व की गरिमा को और गहरा किया।
इन्हीं दायित्वों के क्रम में आज एक ऐतिहासिक क्षण का प्रत्यक्ष साक्षी बनने का अवसर प्राप्त हुआ। सचिव, राजभवन—डॉ. सी. आर. प्रसन्ना—के मार्गदर्शन में भारत सरकार, गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक महत्वपूर्ण आदेश का कार्यान्वयन आरंभ किया गया। 25 नवंबर 2025 को गृह मंत्रालय (MHA) ने Memo No. 7/10/2025 (Part)-M&G के माध्यम से निर्देश दिया कि देश के सभी “Raj Bhavan / Raj Niwas” को अब “Lok Bhavan / Lok Niwas” नाम से संबोधित किया जाए, जो 2024 में आयोजित Governors’ Conference की सर्वसम्मत सिफारिश पर आधारित था।
छत्तीसगढ़ में यह परिवर्तन 2 दिसंबर 2025 को, सचिव राजभवन डॉ. सी. आर. प्रसन्ना के आदेशानुसार औपचारिक रूप से लागू किया गया। यह क्षण न केवल प्रशासनिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय था, बल्कि यह मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी सौभाग्य का विषय रहा कि मैं इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का प्रत्यक्ष सहभागी बना।
हाल के दिनों में बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ सहित अनेक राज्यों ने MHA के निर्देशानुसार अपने “राजभवन” को “लोक भवन” के रूप में पुनर्नामित कर दिया है। यह बदलाव केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि शासन और संवैधानिक संस्थाओं की जनोन्मुखी पहचान को मजबूत करने का प्रयास है—औपनिवेशिक नामकरण से मुक्ति और लोकतांत्रिक मूल्यों की नई अभिव्यक्ति।
राजभवन से लोक भवन की यह यात्रा, वास्तव में प्रशासनिक संस्थाओं को जनता के और निकट लाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। “लोक भवन” शब्द केवल एक संरचना का नाम नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतिनिधित्व है जिसमें शासन का मूल उद्देश्य—जनसेवा—अपनी पूर्णता प्राप्त करता है।
मेरी आकांक्षा है कि यह नई अवधारणा प्रशासनिक व्यवहार में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, सेवा-भाव और संवेदनशीलता को उसी प्रकार स्थापित करे, जैसा इस परिवर्तन का उद्देश्य है। हम सभी अधिकारी, अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए, न केवल इस नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप से अपनाएँ, बल्कि इसकी भावना को अपने कार्य में भी उतारें—यही सच्ची लोकसेवा है।
— डॉ. रूपेन्द्र कवि
Anthropologist | Littreture | Philanthropist
Deputy Secretary to Governor (Constitutional Cell), Chhattisgarh
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