रायपुर 10 दिसंबर 2025। डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार गिरावट, मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि गलत आर्थिक नीतियों और वित्तीय कुप्रबंध के कारण ही रुपया तेजी से कमजोर हो रहा है, यह सरकार हर मोर्चे पर असफल हो चुकी है अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया लगातार टूट रहा है, चालू वर्ष 2025 में ही 5.26 प्रतिशत की गिरावट आ चुका है, 1 जनवरी को 85.70 था, अब 90 के आसपास है।
अवमूल्यन के मामले में एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा में शामिल हो गया है, लेकिन असहाय सरकार ठोस उपाय के बजाय कुतर्क कर रही है। जनवरी 2014 में एक डॉलर 65 रुपए का था, जो अब 90 पहुंच गया है, अर्थात मोदी राज के 11 साल में डॉलर के मुकाबले रुपया 45 प्रतिशत टूट चुका है, आर्थिक नाकामी का डंका बज रहा है। विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है, व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। तेल, कच्चा माल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी के आयात में अधिक कीमत चुकाना पड़ रहा है। मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन, व्यापार असंतुलन अर्थात निर्यात में कमी, आयात पर अधिक निर्भरता और अस्थिर पूंजी प्रवाह रुपए के कारण ही रुपया तेजी से कमजोर हो रहा है
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था संभालने के मामले में भाजपा की सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। घरेलू बचत ऐतिहासिक तौर पर न्यूनतम स्तर पर आ चुकी है, देश पर कुल कर्ज का भार 2014 की तुलना में तीन गुना बढ़ चुका है, चंद पूंजीपति मित्रों की आय तेजी से बढ़ रही है, देश के संसाधन केवल उन्हीं पर लुटाया जा रहा है, 80 करोड़ आम जनता को गरीबी रेखा से नीचे लाकर 5 किलो राशन की लाइन में खड़ा कर दिया गया है, असमानता बढ़ रहा है, पूंजीपतियों के एनपीए बढ़ रहे, उनके कर्ज माफ कर रही है सरकार पिछले 5 वर्षों में ही अमीरों के 6 लाख 15 हजार करोड़ माफ किए गए, जनता बेरोजगारी और महंगाई से मर रही है लेकिन यह सरकार कॉर्पाेरेट परस्त नीतियों से बाहर ही नहीं आ पा रही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने में यह सरकार नाकाम हो चुकी है। मोदी सरकार में वित्तीय अस्थिरता तेजी से बढ़ी है, जिसका कोई ठोस समाधान सरकार के पास नहीं है, इसी वित्तीय वर्ष में चौथी बार रेपो रेट घटाने इस सरकार की लाचारी को प्रमाणित करता है। बार-बार रेपो रेट घटाने से बचतकर्ताओं को बेहद नुकसान है, खासतौर पर महिलाओं और बुजुर्गों के आय का प्रमुख साधन सावधि जमा (एफडी) और अन्य बचत पर मिलने वाला ब्याज ही है जिसमें कटौती से उनके समक्ष जीवन यापन की समस्या आएगी। रेपो रेट घटाने से महंगाई और बाहरी क्षेत्र से जुड़े जोखिम और बढ़ेंगे, शेयर बाजार और बॉन्ड बाजार अस्थिर होता है।
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