रायपुर 30 मई 2022। परमानंद पाटिल पिछले 15 सालों से गुटखा और तंबाकू का सेवन कर रहे थे। लेकिन एनसीडी कार्यक्रम के तहत चलाए जा रहे, नशा मुक्ति अभियान के माध्यम से वह संपर्क में आए और 2 माह के नियमित इलाज के बाद उनको लाभ मिला और अब वह तंबाकू और गुटखा के सेवन से तौबा कर चुके हैं ।
गुटखा खाने की आदत के बारे में परमानंद पाटिल बताते हैं: “लगभग 15 वर्ष पहले दोस्तों के साथ बारनवापारा घूमने गया था वहां पर कई दोस्तों ने गुटखा खाने के लिए दबाव बनाया और कहा इससे कुछ नहीं होता बल्कि पाचन क्रिया सही रहती है। वहीँ से मैंने गुटखा खाना शुरू कर दिया बाद में मुझे फिर इसकी ऐसी आदत हो गयी कि मैं चाह कर भी तंबाकू को छोड़ नहीं पा रहा था । दिन में लगभग 100 से 150 रुपए इसी में खर्च हो जाता था ।“
आगे परमानंद कहते है: “मेरी आय भी सीमित थी । लोगों ने यह कह कर शादी करवा दी कि पत्नी आएगी तो तम्बाकू छूट जाएगी । इसी बीच शादी भी हो गई । लेकिन आदत और बिगड़ती चली गई, पत्नी ने भी कई बार गुटखा छोड़ने के लिए दबाव बनाती रही पर हठधर्मिता के कारण गुटखा नहीं छोड़ पा रहा था। इसी बीच मुझे बेटी हुयी फिर धीरे-धीरे वह बड़ी हो रही थी, खर्चे बढ़ रहे थे और इधर तम्बाकू की आदत अपना जोर दिखा रही थी ।
चंद गुटखे के दाने खाने से शुरू हुआ सफर अब महीने में 2,500 से 3,000 ₹ महीने में खर्चा करा रहा था । आर्थिक स्थिति खराब हो रही थी घर में गृह कलह बढ़ती जा रही थी । एक दिन बिटिया ने गुटखा पाउच देते हुए कहा यह लो पापा आप खाओ और हमारी खुशियों में आग लगाओ । बात दिल को लग गई और मन में दृढ़ इच्छा शक्ति पैदा की कि मैं अब तंबाकू का सेवन नहीं करूँगा। फिर मुझे पता चला कि स्वास्थ विभाग द्वारा एनसीडी कार्यक्रम के तहत नशा मुक्ति केंद्र बनाया गया है , जिसमें चरणबद्ध तरीके से नशा सेवन रोकने के तरीके सिखाये जाते हैं।
मेरे लिए तंबाकू का सेवन छोड़ना आसान नहीं था । शुरुआत में 15 दिन काफी कष्टदायी थे । तंबाकू सेवन की इच्छा को रोकना और तंबाकू नहीं खाने के कारण मन-मस्तिष्क में बेचैनी, चिड़चिड़ापन, रात में नींद न आना और अनेक तरह के लक्षणों से जूझना पड़ा। ऐसे में परामर्शदाताओं ने सलाह दी कि रात में मेथी दाना भिगोकर सुबह उसका पानी पीना चाहिए । दालचीनी का सेवन, दिन में दो या तीन काजू और बादाम खाने के साथ योग करने की सलाह भी दी।
धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी।मन-मस्तिष्क से तंबाकू सेवन की इच्छा भी कम होने लगी और निकोटीन गम को भी अलविदा कह दिया ।और इस प्रकार धीरे धीरे गुटखा सेवन की आदत खत्म हो गई अब मैं पूर्ण रूप से गुटखा और तंबाकू के सेवन से तौबा कर चुका हूं । जब से गुटखा छोड़ा है मेरे बेटी और मेरी पत्नी बहुत खुश हैं ।‘’
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की जिला सलाहकार डॉ. सृष्टि यदु बताती है: “किसी भी प्रकार के नशे को छोड़ने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है । नशा मुक्ति केंद्र से वर्ष 2021-22 में जिले के 120 स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम किए गए, 107 स्कूलों को धुम्रपान फ्री स्कूल का प्रमाण-पत्र मिला, वहीं 13 चालान भी किए गए जिसमें 650 रुपये का अर्थ दंड भी लिया गया, 1163 लोगों को ओपीडी के माध्यम से परामर्श भी दिया गया । 106 लोगों ने तंबाकू के सेवन का त्याग किया ।
वर्ष 2020-21 में 885 लोगों को ओपीडी के माध्यम से परामर्श भी दिया गया । वहीं 48 लोगों ने तंबाकू के सेवन का त्याग किया । तंबाकू छोड़ने वाले लोग अब स्वस्थ जीवन जी रहे है ।