रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से 10 मई 2024 को छत्तीसगढ़ नज समिट 2.0 की मेजबानी की। अब छत्तीसगढ़ के प्रमुख कॉर्पोरेट घराने राज्य में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए साथ काम करेंगे। इन कंपनियों से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड के तहत मिली राशि का उपयोग कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु दर को कम करने के साथ-साथ परिवारों और समुदायों के बीच महत्वपूर्ण व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने में सरकार को समर्थन देने के लिए किया जाएगा।
कॉरपोरेट्स, यूनिसेफ और एनआईटी रायपुर की संयुक्त पहल के रूप में आज यहां भारत में अपनी तरह का पहला एक अभिनव मंच, “थिंक-सो” लॉन्च किया गया।
इस फोरम का उद्देश्य ज्ञान साझा करने की सुविधा बढ़ाना, सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना, सक्रिय कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निकायों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना और बुनियादी ढांचे से परे उत्तम समाधान बनाने के लिए कार्यक्रमों की योजना बना के सकारात्मक सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देना है।
बी आई यू नोडल इंचार्ज डॉ. गोवर्धन भट्ट ने यूनिसेफ के साथ 2015 से एन आई टी रायपुर की साझेदारी, नज समिट और बीआईयू की उत्पत्ति पर बात करते हुए सभी उपस्थित लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया।
मुख्य अतिथि आनंद शेखर, अतिरिक्त निदेशक, नीति आयोग ने कहा, “यह एक अभूतपूर्व समय है जब भारत में आम नागरिक के विकास के लिए उच्च स्तर की इच्छाशक्ति है, जहां समुदाय का विकास सर्वोपरि है।” उन्होंने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नागरिक समाजों, सरकार और शिक्षा जगत के बीच उत्तम तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया।
छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि कॉर्पोरेट घराने समुदाय में व्यवहार परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। “छत्तीसगढ़ में सीएसआर फंड प्रति वर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपये है। यदि इस निधि का एक हिस्सा व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक सहभागिता के लिए उपयोग किया जाता है, तो राज्य में कुपोषण, एनीमिया और बाल मृत्यु दर में काफी कमी आएगी। यह स्तनपान, साबुन से हाथ धोना, पूर्ण टीकाकरण और सुरक्षित पानी के उपयोग जैसे प्रमुख व्यवहारों को भी बढ़ावा देगा।”
एनआईटी के निदेशक डॉ. एन वी रमना राव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सदस्यों का स्वागत किया और उन्हें उन क्षेत्रों और जरूरतों को साझा करने के लिए आमंत्रित किया जहां प्रौद्योगिकी सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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एक दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न कॉरपोरेट्स, एन जी ओ, सिविल सोसायटी, शिक्षाविदों और विकास पेशेवरों के 150 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यक्र्म उच्च गुणवत्ता वाले सत्रों और वेदांता समूह, हीरा समूह, अल्ट्राटेक, आईबी समूह, जिंदल जैसे कॉर्पोरेट कंपनियों और व्यवहार परिवर्तन पर केंद्रित प्रमुख गैर सरकारी संगठनों के अनुभव-साझाकरण से पूर्ण रहा ।