जनसूचना अधिकारी पत्राचार करते समय अपना नाम, पदनाम और पदस्थापना स्थल का उल्लेख करें

रायपुर, 13 जुलाई 2025 :सूचना आयोग के आयुक्त ने कहा कि आयोग की सुनवाई में तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी के द्वारा प्रतिनिधि के रूप में प्राधिकार पत्र मान्य किया जाएगा और उनके द्वारा प्रस्तुत जवाब को तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी का जवाब माना जाएगा।

प्राधिकार पत्र के अभाव में प्रतिनिधि की उपस्थिति मान्य नहीं की जाएगी। राज्य सूचना आयोग ने सभी तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों को निर्देशित किया है कि आयोग से पत्राचार करते समय प्रकरण क्रमांक, वर्ष और सुनवाई की तिथि के साथ-साथ अपना नाम, पदनाम, पदस्थापना स्थल का स्पष्ट उल्लेख करना सुनिश्चित करें।

छत्तीसगढ राज्य सूचना आयोग ने सभी लोकप्राधिकारियों (कार्यालय प्रमुखों) को निर्देशित किया है कि अपने अधीनस्थ तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों को निर्देशित करें कि राज्य सूचना आयोग के द्वारा द्वितीय अपील की सुनवाई के लिए प्रेषित नोटिस का जवाब प्रथम सूचना पत्र प्राप्ति के पश्चात 30 दिवस के भीतर कंडिकावार मय दस्तावेज के साथ जवाब प्रस्तुत कर पंजीकृत डाक से प्रेषित करना सुनिश्चित करें।

जवाब प्रस्तुत करते समय तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी का नाम पदनाम का स्पष्ट उल्लेख करें। उन्होंने यह भी कहा है कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों का नाम पदनाम, कार्यावधि तथा वर्तमान पदस्थापना स्थल की जानकारी आयोग को देना सुनिश्चित करें।

छत्तीसगढ राज्य सूचना आयोग ने निर्देशित किया है कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों सुनवाई में प्रकरण से संबंधित समस्त अभिलेख एवं नस्ती के साथ उपस्थित रहें, यदि अपरिहार्य कारण से तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारी आयोग के द्वितीय अपील की नियत तिथि को सुनवाई में उपस्थित में असमर्थ होने की स्थिति में अपने ऐसे प्रतिनिधि को सुनवाई के लिए भेजा जाए, जिनको प्रकरण के संबंध में संपूर्ण जानकारी हो एवं संपूर्ण दस्तावेज और जानकारी के साथ आयोग के समक्ष सुनवाई के अवसर पर आयोग को जवाब प्रस्तुत कर सके।

राज्य सूचना आयोग ने कहा है कि तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत द्वितीय अपील की सुनवाई के लिए प्रेषित नोटिस का जवाब तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों से प्राप्त नहीं होने के कारण प्रकरण की सुनवाई में अनावश्यक विलंब होता है।

ताजा समाचारों के लिए टेलीग्राम ग्रुप अभी ज्वाइन करें
https://t.me/MediaPassion1

मीडिया पैशन के व्हाट्स ऐप चैनल को अभी ज्वाइन करें
https://whatsapp.com/channel/0029VaFDqecHwXbGsQkLhI18

आयोग के समक्ष सुनवाई के पूर्व तत्कालीन जनसूचना अधिकारी/वर्तमान जनसूचना अधिकारियों से पंजीकृत डाक से नियमानुसार प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं होने पर एवं उक्त निर्देश का पालन नहीं होने की स्थिति में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1) एवं धारा 20 (2) के तहत और शासन के द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार अर्थदण्ड एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।