छत्तीसगढ़ के रंग देखिये मेरे संग: प्रागैतिहासिक नगरी कांकेर का गढ़िया पहाड़

फोटो एवं आलेख ज्ञानेंद्र पाण्डेय

नमस्कार मित्रों,
पिछले अंक में आपने प्रागैतिहासिक काल से ऋषियों की शरण स्थली कांकेर के सम्बन्ध तथा कांकेर में स्थित गढ़िया पहाड़ के अलग अलग स्थानों को जाना। आइये जानते हैं कुछ और रोचक बातें जो आपको निश्चित रूप से कांकेर तथा गढ़िया पहाड़ देखने को विवश करेंगी।

टूरी हटरी
गढ़िया पहाड़ या किले का हृदय स्थल टूरी हटरी ही है। यह स्थल दैनिक/साप्ताहिक बाजार, मेला – मडई आदि के लिए उपयुक्त था जिसके साक्ष्य मिट्टी के बर्तन व ईंट-तथा खपरैल के अवशेषों के रूप में आज भी यहां मिलते हैं। यहाँ पहाड़ी पर स्थित किले की आवश्यकता के लिए बाजार लगता था जिसे सिर्फ लड़कियां अथवा महिलाएं ही संचालित करती थीं यही कारण है कि इसका नाम टूरी हटरी पड़ा (छत्तीसगढ़ी में टुरी अर्थात लड़की एवं हटरी अर्थात बाजार)

फांसी पत्थर
माना जाता है कि किले के इस स्थान से मृत्यु दंड प्राप्त अपराधियों को पत्थर के नीचे खाई में राजा के सैनिकों द्वारा फेंक दिया जाता था। कहा जाता है कि एक बार एक कैदी ने अपने साथ एक सिपाही को भी नीचे खींच लिया। इसके बाद से अपराधियों के हाथ बांधकर उन्हें दूर से बांस से धकेला जाने लगा।

जोगी गुफा
पहाड़ी के ऊपर जाने के लिए एक कच्चा मार्ग बना हुआ है जहाँ एक विशाल गुफा स्थित है। कहा जाता हैं कि उस गुफा में एक सिद्ध जोगी तपस्या करते थे, जिनका शरीर काफी विशाल था। वहां उनकी विशाल खड़ऊ आज भी मौजूद है। इस कारण इसे जोगी गुफा कहा जाता है।

छुरी पगार
यह भी एक रहस्यमय गुफा है जो सोनई रूपई तालाब के पास ही स्थित है। इस गुफा में जाने का मार्ग अत्यंत सकरा है तथा गुफा में प्रवेश करने के बाद विशाल स्थान है यहां सैकड़ों की संख्या में लोग बैठ सकते हैं। गुफा के मार्ग में छुरी के समान तेज धारदार पत्थर हैं। इसी कारण इसे छुरी गुफा कहा जाता है। माना जाता है कि किले में दुश्मनों द्वारा हमला होने की स्थिति में राजा अपने सैनिकों सहित इसी गुफा में शरण लेते थे ।

मिलते हैं अगले अंक में छत्तीसगढ़ के किसी और खुबसूरत स्थान पर कुछ और दिलचस्प कहानियों के साथ
तब तक जय जोहार