जुलाई 27, नई दिल्ली(SHABD): बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में बड़ा खुलासा हुआ है। पुनरीक्षण के पहले चरण के आंकड़ों में सामने आया है कि लगभग 35 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। अब तक 7.24 करोड़ या 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हुए।
चुनाव आयोग ने कहा कि पहले चरण में बिहार की वर्तमान मतदाता सूची के 99.8 फीसदी हिस्से को कवर कर लिया है। आयोग ने बयान जारी कर कहा कि मतदाता सूची में 22 लाख नाम ऐसे हैं जो अब जिंदा नहीं हैं। वहीं 7 लाख के करीब नाम दो या दो से अधिक जगहों पर दर्ज पाए गए हैं।
आयोग ने बताया कि जिन मतदाताओं ने फॉर्म नहीं भरे हैं, जिनका निधन हो चुका है या जो स्थाई रूप से किसी और राज्य में पलायन कर चुके हैं, उनकी सूची सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ 20 जुलाई को साझा कर दी गई है।
चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि कानून और संविधान के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांग सके, ताकि लोगों को ‘मताधिकार’ मिल सके।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
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