सितंबर 02, नई दिल्ली (PIB) : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि इस शुभ मंगलवार को अत्यंत आशाजनक पहल की शुरूआत की जा रही है। उन्होंने अपनी घोषणा में कहा कि बिहार में माताओं और बहनों को जीविका निधि साख सहकारी संघ के माध्यम से एक नई सुविधा प्रदान की जा रही है। इस पहल से गांवों में जीविका से जुड़ी महिलाओं को सुगमता से वित्तीय सहायता मिलेगी, जो उनके काम और व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।
श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जीविका निधि प्रणाली पूरी तरह डिजिटल है, जिससे संबंधित काम के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी और सब कुछ मोबाइल फोन के माध्यम से ही किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने जीविका निधि साख सहकारी संघ के शुभारंभ पर बिहार की माताओं और बहनों को बधाई देते हुए इस उल्लेखनीय पहल के लिए श्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार की सराहना की।
श्री मोदी ने कहा कि सशक्त महिलाएं विकसित भारत का प्रमुख आधार हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनके जीवन की कठिनाइयां कम करना आवश्यक है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि सरकार माताओं, बहनों और बेटियों के जीवन को सुगम बनाने हेतु कई पहल कर रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि खुले में शौच बाध्यता से मुक्ति के लिए महिलाओं के लिए करोड़ों शौचालयों का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करोड़ों पक्के घर बनाए गए हैं, और जिसमें विशेष ध्यान रखा गया है कि ये घर महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हों। उन्होंने कहा कि जब एक महिला गृहस्वामिनी बनती है, तो उसकी बातों की अहमियत भी बढ़ जाती है।
श्री मोदी ने स्वच्छ पेयजल की समस्या के समाधान के लिए सरकार की “हर घर जल” पहल का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि माताओं और बहनों को स्वास्थ्य सेवा की कठिनाईयां दूर करने के लिए आयुष्मान भारत योजना आरंभ की गई है, जिसके अंतर्गत 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की निःशुल्क राशन योजना भी चल रही है, जिससे हर मां अपने बच्चों का पेट भरने की चिंता से मुक्त हो गई है। महिलाओं की आय में बढ़ोतरी के लिए, उन्होंने लखपति दीदी, ड्रोन दीदी और बैंक सखी जैसी पहल का उल्लेख किया, जो देश भर में महिलाओं का सशक्तिकरण कर रही हैं। उन्होंने इन योजनाओं को मां और बहनों की सेवा के लिए समर्पित महाअभियान का हिस्सा बताया। श्री मोदी ने जनसमूह को आश्वस्त किया कि आगामी महीनों में, उनकी सरकार बिहार में इस मिशन में और तेजी लाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार एक ऐसी धरती है, जहां मातृशक्ति के प्रति श्रद्धा और मां का सम्मान सदैव सर्वोपरि रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में गंगा मैया, कोसी मैया, गंडकी मैया और पुनपुन मैया जैसी देवी-देवताओं की गहरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। श्री मोदी ने कहा कि मां जानकी बिहार की पुत्री थीं, जो इसी भूमि की सांस्कृतिक परंपराओं में पली-बढ़ी और जिन्हें दुनिया भर में सीता माता के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि छठी मैया की पूजा सबके लिए वरदान माना जाता है। श्री मोदी ने कहा कि नवरात्रि का पावन पर्व निकट आ रहा है, जिसमें देश भर में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है और बिहार तथा पूर्वांचल क्षेत्र में सतबहिनी पूजा की भी पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा है, जिसमें सात बहनों को दिव्य मां के रूप में पूजा जाता है। उन्होंने बल देते हुए कहा कि मां के प्रति गहरी आस्था और भक्ति बिहार की एक विशिष्ट पहचान है। एक स्थानीय कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि कोई व्यक्ति कितना भी प्रिय क्यों न हो, कभी मां का स्थान नहीं ले सकता।
श्री मोदी ने ज़ोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार के लिए माताओं की गरिमा, सम्मान और गौरव सर्वोच्च प्राथमिकता है और मां हमारे संसार का सार तथा स्वाभिमान का प्रतीक है। बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का उल्लेख करते हुए उन्होंने हाल की एक घटना पर गहरी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार में विपक्षी गठबंधन के एक मंच से उनकी माताजी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह अपमान सिर्फ़ उनकी मां का ही नहीं, देश की हर मां, बहन और बेटी का अपमान है। श्री मोदी ने बिहार के लोगों, खासतौर पर वहां की माताओं द्वारा ऐसी टिप्पणियां देखने, सुनने और महसूस करने के दर्द को साझा किया। उन्होंने कहा कि उनके दिल को पहुंचे दुःख से बिहार के लोग भी आहत हुए हैं और आज वे लोगों के साथ इस दुःख को साझा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे समाज और राष्ट्र की लगभग 55 वर्षों से सेवा में हर दिन, हर पल, समर्पित भाव से देश के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने इस यात्रा में अपनी मां की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। श्री मोदी ने कहा कि मां भारती की सेवा के लिए, उनकी जन्मदात्री मां ने पारिवारिक दायित्वों से उन्हें मुक्त कर दिया था। उन्होंने इस बात पर गहरा दुःख व्यक्त किया कि जिस मां ने उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए आशीर्वाद देकर विदा किया, और जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन्हें विपक्षी गठबंधन के मंच से अपमानित किया गया। श्री मोदी ने इस कृत्य को अत्यंत दुखद, व्यथित करने वाला और पीड़ाजनक बताया।
श्री मोदी ने ज़ोर देते हुए कि हर मां अपने बच्चों के पालन-पोषण में अपार त्याग करती है और उसके लिए बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं होता। श्री मोदी ने कहा कि बचपन से ही उन्होंने अपनी मां को इसी रूप में अपने परिवार और बच्चों के पालन-पोषण में निर्धनता और कष्ट का सामना करते हुए देखा है। उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि कैसे वर्षा ऋतु आने से पहले, उनकी मां यह सुनिश्चित करती थीं कि छत न टपके, ताकि उनके बच्चे चैन की नींद सो सकें। बीमार होने पर भी वे काम पर जाती थीं। उन्हें लगता था कि अगर एक दिन भी आराम किया, तो उनके बच्चों को कष्ट सहना पड़ेगा। श्री मोदी ने कहा कि मां ने कभी अपने लिए नई साड़ी नहीं खरीदी और अपने बच्चों के लिए एक-एक जोड़ी कपड़े सिलने के लिए पाई-पाई बचाकर रखी। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि एक गरीब मां भी जीवन भर त्याग कर, अपने बच्चों को शिक्षा और अच्छे संस्कार देती है। उन्होंने कहा कि इसीलिए मां का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। श्री मोदी ने एक पंक्ति उद्धृत कर बिहार के सांस्कृतिक मूल्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि विपक्ष के मंच से दी गई गालियों से सिर्फ़ उनकी मां का ही नहीं, देश भर की करोड़ों माताओं का अपमान किया गया।
श्री मोदी ने कहा कि एक गरीब मां का त्याग और उसके बेटे का दर्द राजघरानों में पैदा हुए लोग नहीं समझ सकते। उन्होंने कहा कि ये अधिकार संपन्न लोग सोने-चांदी के चम्मच लेकर पैदा हुए हैं और बिहार तथा देश भर की सत्ता को अपनी पारिवारिक मिल्कियत समझते हैं। उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि सत्ता पर उनका जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन भारत की जनता ने एक गरीब मां के बेटे—एक मेहनती व्यक्ति—को आशीर्वाद देकर प्रधानमंत्री बनाया है। श्री मोदी ने कहा कि इस वास्तविकता को साधन संपन्न वर्ग के लिए स्वीकार करना थोड़ा कठिन है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने समाज के पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के उत्थान को कभी मन से स्वीकार नहीं किया और वे मानते हैं कि उन्हें कड़ी मेहनत करने वालों को अपमानित करने का अधिकार है, और इसलिए वे गालियों की बौछार करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि बिहार चुनावों के दौरान उन्हें बार-बार अपमानजनक और अभद्र भाषा का सामना करना पड़ा, जिससे इन लोगों की कुत्सित अभिजात्य मानसिकता उजागर हुई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी मानसिकता से ग्रस्त वे लोग अब अपने राजनीतिक मंच से उनकी दिवंगत मां को गालियां दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माताओं और बहनों के साथ दुर्व्यवहार करने की मानसिकता वाले लोग महिलाओं को कमज़ोर और उन्हें शोषण और उत्पीड़न के अधिकारी मानते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब भी ऐसी महिला-विरोधी मानसिकता के लोग सत्ता में आए हैं, महिलाओं को सबसे अधिक कष्ट झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस वास्तविकता को बिहार के लोगों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। बिहार में विपक्ष के शासनकाल का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उस दौरान अपराध और अपराधी बेलगाम थे और हत्या, जबरन वसूली और बलात्कार की घटनाएं आम थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि उस समय की सरकार हत्यारों और बलात्कारियों को पनाह देती थी और बिहार की महिलाओं को उस शासन में सबसे अधिक दुख भुगतना पड़ा। श्री मोदी ने कहा कि उस समय महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलने पर सुरक्षित नहीं थीं और परिवार लगातार डर के साये में रहते थे—इसका ठिकाना नहीं था कि उनके पति या बेटे शाम तक घर ज़िंदा लौटेंगे या नहीं। श्री मोदी ने कहा कि उस दौरान महिलाएं अपने परिवारों को खोने, फिरौती के लिए अपने गहने बेचने, गुंडों द्वारा अपहरण किए जाने या अपने वैवाहिक सुख खोने की आशंका से भयभीत रहती थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार ने उस अंधकार भरे कुशासन से निकलने की लंबी लड़ाई लड़ी है। श्री मोदी ने आक्रांतकारी विपक्ष को हटाने और बार-बार हराने में बिहार की महिलाओं की अहम भूमिका मानते हुए उन्हें इसका श्रेय दिया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यही कारण है कि आज विपक्षी दल बिहार की महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा नाराज़ हैं। श्री मोदी ने बिहार की हर महिला से विपक्ष की खराब मंशा को भलीभांति समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये दल बदला लेना और उन्हें सज़ा देना चाहते हैं।
श्री मोदी ने यह इंगित किया कि कुछ विपक्षी दल महिलाओं की उन्नति का लगातार विरोध करते रहे हैं और यही वजह है कि वे महिला आरक्षण जैसी पहल के भी प्रबल विरोधी रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब एक निर्धन घर की महिला प्रमुख पद प्राप्त करती है, तब भी उनकी हताशा सामने आती है। उन्होंने विपक्ष द्वारा आदिवासी और आर्थिक रूप से वंचित परिवार की बेटी राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का बार-बार अपमान किये जाने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि महिलाओं के प्रति घृणा और तिरस्कार की इस राजनीति पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब 20 दिनों में नवरात्रि आरंभ हो जाएगी, उसके बाद 50 दिनों में छठ का पवित्र त्योहार आयेगा, जब छठी मैया की पूजा की जाएगी। प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भले ही वे अपनी मां का अपमान करने वालों को माफ़ कर दें, लेकिन भारत की धरती ने माताओं के प्रति अनादर कभी बर्दाश्त नहीं किया है। श्री मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि विपक्षी दलों को अपने कृत्यों के लिए सतबहिनी और छठी मैया से क्षमा मांगनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने बिहार के लोगों, खासकर वहां के बेटों से, माताओं के अपमान का जवाब देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेता जहां भी जाएं—किसी भी गली, मुहल्ले या शहर पहुंचें, उन्हें जनता की आवाज़ सुनाई देनी चाहिए कि माताओं का अपमान और उनकी गरिमा पर किसी तरह का हमला नहीं सहा जाएगा। श्री मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों के उत्पीड़न और हमले बर्दाश्त नहीं किये जाएंगे और उन्हें अस्वीकार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिर दोहराया कि देश में महिलाओं का सशक्तिकरण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनकी सरकार महिलाओं की कठिनाइयां दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है और पूरी प्रतिबद्धता के साथ इसमें जुटी रहेगी। उन्होंने लोगों से अपनी सरकार पर आशीर्वाद बनाए रखने का आग्रह किया और अंत में देश की हर मां को सादर नमन किया।
प्रधानमंत्री ने हाल में स्वतंत्रता दिवस पर प्रत्येक गांव और गलियों में गूंजते “हर घर तिरंगा” नारे की राष्ट्रीय भावना का स्मरण करते हुए दोहराया कि अभी समय की आवश्यकता “हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी” अपनाने की है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह नया मंत्र माताओं और बहनों के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने इस अभियान में महिलाओं से अपना आशीर्वाद देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक दुकानदार और व्यापारी से अनुरोध किया कि वे गर्व सहित “यह स्वदेशी है” का बोर्ड लगाएं और वोकल फॉर लोकल (स्थानीय उत्पाद) और ‘मेड इन इंडिया’ (देश में निर्मित) उत्पादों पर ज़ोर दें। प्रधानमंत्री ने अपना संबोधन भारत को आत्मनिर्भरता के पथ पर दृढ़ता से आगे बढ़ाने के आह्वान के साथ संपन्न किया।
कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी, श्री विजय कुमार सिन्हा सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड का शुभारंभ किया। जीविका निधि स्थापित करने का उद्देश्य जीविका से जुड़े सामुदायिक सदस्यों को कम ब्याज दरों पर सुगमता से धन उपलब्ध कराना है। इस संस्था में जीविका के सभी पंजीकृत संकुल-स्तरीय संघ सदस्य होंगे। इसके संचालन के लिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार धनराशि देगी।
जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं में पिछले कुछ वर्षों में उद्यमिता काफी बढ़ी है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कई लघु उद्यम और उत्पादक कंपनियां स्थापित की गई हैं। हालांकि महिला उद्यमियों को प्रायः 18 प्रतिशत से 24 प्रतिशत के उच्च ब्याज दर पर ऋण देने वाली सूक्ष्म वित्त संस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। इसी हेतु वैकल्पिक वित्तीय प्रणाली के रूप में जीविका निधि की परिकल्पना की गई है ताकि सूक्ष्म वित्त संस्थाओं पर उनकी निर्भरता कम हो और कम ब्याज दरों पर बड़ी राशि उन्हें समय पर उपलब्ध हो सके।
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यह प्रणाली पूर्णतः डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर संचालित होगी, जिससे जीविका दीदियों के बैंक खातों में जल्द और सीधे तथा अधिक पारदर्शी उपायों से धनराशि अंतरण सुनिश्चित होगा। इस प्रणाली की सुगमता के लिए, 12,000 सामुदायिक कार्यकर्ताओं को टैबलेट (पोर्टेबल पर्सनल कंप्यूटर) से लैस किया जा रहा है।
इस पहल से ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और समुदाय-आधारित उद्यम तेज़ी से विकसित होंगे। बिहार में लगभग 20 लाख महिलाएं इस पहल की साक्षी बनेंगी।