छत्तीसगढ़ के रंग देखो मेरे संग : ज्ञानेंद्र पाण्डेय

ज्ञानेंद्र पांडेय वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं तथा प्रकृति संरक्षण के कार्यों से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में पीएचडी चैंबर में रेजिडेंट ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं। इन्हें उद्यमिता तथा परियोजना सलाहकार के रूप में कार्य करने का 20 वर्षों का अनुभव है।

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रायपुर। वैश्विक महामारी के दौरान हम सबने क्या कुछ नहीं सहा, क्या कुछ नहीं देखा। हजारों की संख्या में हुई असामयिक मौतें, जीवन मृत्यु से जूझते घरों में कैद परिवार, आय के साधन छिन जाने से परिवार की रोजी रोटी की चिंता में दिन रात तिल तिल कर मरती उम्मीदें। पुरे मानव जाति के लिए इस भयावह समय को भूल पाना आसान नहीं है। धीरे धीरे जिंदगी आगे बढ़ रही है और लोग बुरी यादों से बाहर निकलकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

कोरोना महामारी ने पूरे मानव समाज को एक बात तो समझा दिया है कि जिंदगी कभी भी थम सकती है, इसलिए जरुरी है कि हम खुल कर जियें, अपने सपने पुरे करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार घूमें और दुनिया देखें। इस भयावह विपत्तिकाल में सबसे अधिक नुकसान जिन क्षेत्रों को हुआ पर्यटन उनमें से एक है। दुनिया में घूमने अर्थात पर्यटन से सुन्दर दूसरी कोई चीज नहीं है। नयी नयी जगहों पर जाना, विविध संस्कृति एवं खान पान का स्वाद लेना और खूबसूरत वादियों में खो जाना हर दर्द की दवा है। तो आइये, चलिए मेरे संग और देखिये भारत के हृदयस्थल में स्थित छत्तीसगढ़ के जाने अनजाने पर्यटन स्थलों को।
44.21 प्रतिशत वनक्षेत्र से घिरे देश के 26 वे राज्य छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोशल है जिसका उल्लेख हिन्दू धर्म के दो ऐतिहासिक महाकाव्य रामायण तथा महाभारत में मिलता है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ धान की 20 हजार से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं यही कारण है कि विश्व भर में छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है।छत्तीसगढ़ राज्य अपने रंग बिरंगी जन- जातीय संस्कृति, हस्तशिल्प तथा नैसर्गिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। कलकल करती नदियों, गगनचुम्बी झरनों, प्रागैतिहासिक गुफाओं, भित्तिचित्रों, ऐतिहासिक एवं पुराकालीन अवशेषों, प्राचीन मठ मंदिरों तथा धार्मिक स्थलों के लिए हमारा प्रदेश विश्वभर में प्रसिद्द है।

इस श्रृंखला में हम छत्तीसगढ़ में पर्यटन के विभिन्न प्रकार जैसे हरित पर्यटन, कृषि तथा ग्रामीण पर्यटन, जन-जातीय पर्यटन तथा प्रदेश की जैव विविधता, सांस्कृतिक विरासत एवं विभिन्न व्यंजनों के सम्बन्ध में चर्चा करेंगे। तो मिलते हैं प्रथम अंक में तब तक सबको जय जोहार, जय छत्तीसगढ़