रायपुर/13 जुलाई 2022। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा नेताओं को कांग्रेस के घर में ताकझांक करने की बीमारी लग गई है। कांग्रेस एक परिवार है। कांग्रेस में सबको अपने विचार रखने की आजादी है। सभी के विचारों का सम्मान है।
कांग्रेस में भाजपा की तरह अलोकतांत्रिक तरीके से कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं दबाई जाती। सब की सुनी जाती है। यहां कोई पुरंदेश्वरी नहीं है जो जनता द्वारा खारिज किये जा चुके भाजपा के बड़े-बड़े नामी गिरामी नेताओं को उनकी औकात बता जाये। कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं की ताकत पर चलती है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ताकत भाजपा देख रही है तब भी उसकी मर चुकी चेतना इसका अहसास नहीं कर पा रही।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस पर बयान देने से पहले भाजपाई अपने गिरेबान में झांके। रमन सिंह ने एक पखवाड़े पहले ही बयान दिया था कि भाजपा में आधा दर्जन लोग अध्यक्ष बनने के लिये कपड़ा सिलवा कर तैयार बैठे है। भाजपाई, रमन सिंह पूछकर बतायें कौन-कौन लोग कपड़ा सिलवा कर बैठे है? चार दिन पहले ही नंदकुमार साय ने भाजपा को कठपुतली अध्यक्ष के बजाय आक्रामक नेतृत्व की मांग किया था।
भाजपा बतायें उनका अध्यक्ष किसकी कठपुतली है? भाजपाई अपने गिरेबान में झांके जहां 14 विधायकों वाली भाजपा के नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में 9 लोग दावेदार थे। भाजपा में आपसी गुटबाजी का आलम यह है कि विक्रम उसेंडी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये, विष्णु देव की भी विदाई कराने में भाजपाई पूरी ताकत लगा दिये है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पिछले चुनाव में भाजपा का सफाया कर दिया।
बी टीम की मेहरबानी से भाजपा ने 15 सीटें जीती थीं, जो अब 14 रह गई है। चारों उपचुनाव में कांग्रेस ने तिरंगा फहराया। नगरीय निकाय और पंचायती राज में कांग्रेस ने एकछत्र जन आशीर्वाद प्राप्त किया। लेकिन सावन के अंधों को अब भी सब हरा-हरा सूझ रहा है। वे समझने तैयार नहीं हैं कि उनके उजड़े चमन में फिर से बहार आने की कोई गुंजाइश नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सिंह जैसे भाजपा नेता अगले चुनाव में सत्ता में आने का जो हसीन सपना देख रहे हैं तो ये मुंगेरीलाल सपने ही देखते रह जायेंगे। रमन सिंह समझ लें कि छत्तीसगढ़ में भाजपा गुजरा हुआ जमाना है जो कभी दोबारा नहीं आता। अच्छा होगा कि भाजपा नेता अपना ढह रहा खंडहर देखें ताकि भाजपा मुक्त छत्तीसगढ़ की नौबत न आ जाये। कांग्रेस लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का सम्मान करती है इसलिए भाजपा मुक्त छत्तीसगढ़ पसंद नहीं करती। कम से कम दो तीन सीटें सलामत रहें, भाजपा नेताओं को इतनी मेहनत तो करनी ही चाहिए।