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मेरे प्यारे देशवासियो,
नमस्कार!
इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सबको संबोधित करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं, आप सबको हार्दिक बधाई देती हूं। आज से 75 वर्ष पहले, 26 जनवरी के दिन ही, भारत गणराज्य का आधार ग्रंथ यानी भारत का संविधान, लागू हुआ था।
लगभग तीन वर्ष के विचार-विमर्श के बाद, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 के दिन संविधान को अंगीकृत किया था। इसी उपलक्ष में 26 नवंबर का दिन, वर्ष 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
गणतन्त्र दिवस का उत्सव, सभी देशवासियों के लिए सामूहिक उल्लास और गौरव का विषय है। यह कहा जा सकता है कि किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का समय, पलक झपकने जैसा होता है। लेकिन मेरे विचार से, भारत के पिछले 75 वर्षों के संदर्भ में, ऐसा बिलकुल नहीं कहा जा सकता है। यह वह कालखंड है जिसमें, लंबे समय से सोई हुई भारत की आत्मा फिर से जागी है और हमारा देश विश्व-समुदाय में अपना समुचित स्थान प्राप्त करने के लिए अग्रसर हुआ है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को, ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था। लेकिन, भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। औपनिवेशिक शासन में, अमानवीय शोषण के कारण देश में घोर गरीबी व्याप्त हो गई।
आज के दिन, सबसे पहले, हम उन शूर-वीरों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानियां दीं। उनमें से कुछ स्वाधीनता सेनानियों के बारे में लोग जानते हैं, लेकिन बहुतों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। इस वर्ष, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं। वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है।
बीसवीं सदी के आरंभिक दशकों में, स्वाधीनता सेनानियों के संघर्षों ने संगठित राष्ट्र-व्यापी आंदोलन का रूप ले लिया। देश का सौभाग्य था कि महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और बाबासाहेब आंबेडकर जैसी महान विभूतियों ने हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को फिर से जीवंत बनाया। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता केवल सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं जिनका परिचय हमें आधुनिक युग में प्राप्त हुआ हो। ये जीवन-मूल्य तो सदा से हमारी सभ्यता और संस्कृति का अंग रहे हैं। नव-स्वाधीन भारत के संविधान और गणराज्य के भविष्य को लेकर जो आलोचक संदेह व्यक्त करते थे, उन लोगों को इन्हीं जीवन-मूल्यों के बल पर पूरी तरह से गलत सिद्ध किया जा सका।
भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है। उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं। दुनिया के कई हिस्सों में जब महिलाओं की समानता को एक सुदूर आदर्श समझा जाता था तब भारत में, महिलाएं, राष्ट्र की नियति को आकार देने में सक्रिय योगदान दे रही थीं।
हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज इसलिए बन पाया है क्योंकि नागरिकों की निष्ठा, सदियों से, हमारी नैतिकता-परक जीवन-दृष्टि का प्रमुख तत्व रही है। हमारा संविधान, भारतवासियों के रूप में, हमारी सामूहिक अस्मिता का मूल आधार है जो हमें एक परिवार की तरह एकता के सूत्र में पिरोता है। पिछले 75 वर्षों से, संविधान ने हमारी प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। आज के दिन, हम, संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, सभा के अन्य प्रतिष्ठित सदस्यों, संविधान के निर्माण से जुड़े विभिन्न अधिकारियों और ऐसे अन्य लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिनके कठिन परिश्रम के फलस्वरूप हमें यह विलक्षण ग्रंथ प्राप्त हुआ।
प्यारे देशवासियो,
संविधान लागू होने के बाद के ये 75 वर्ष हमारे युवा गणतंत्र की सर्वांगीण प्रगति के साक्षी हैं। स्वाधीनता के समय और उसके बाद भी देश के बड़े हिस्से में घोर गरीबी और भुखमरी की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन, हमारा आत्म-विश्वास कभी डिगा नहीं। हमने ऐसी परिस्थितियों के निर्माण का संकल्प लिया जिनमें सभी को विकास करने का अवसर मिल सके। हमारे किसान भाई-बहनों ने कड़ी मेहनत की और हमारे देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। हमारे मजदूर भाई-बहनों ने अथक परिश्रम करके हमारे infrastructure और manufacturing sector का कायाकल्प कर दिया। उनके शानदार प्रदर्शन के बल पर आज भारतीय अर्थ-व्यवस्था विश्व के आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित कर रही है। आज का भारत, अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर नेतृत्व की स्थिति हासिल कर रहा है। संविधान में निर्धारित रूपरेखा के बिना यह व्यापक परिवर्तन संभव नहीं हो सकता था।
हाल के वर्षों में, आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी। समावेशी विकास, हमारी प्रगति की आधारशिला है, जिससे विकास का लाभ व्यापक स्तर पर अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुंचता है।
सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है, इसलिए प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया और अटल पेंशन योजना जैसी वित्तीय समर्थन योजनाओं का विस्तार किया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता पहुंचाई जा सके।
यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण बदलाव है कि सरकार ने जन-कल्याण को नई परिभाषा दी है, जिसके अनुसार आवास और पेयजल जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना गया है। वंचित वर्गों के लिए, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। अनुसूचित जातियों के युवाओं के लिए प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां, राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्तियां, छात्रावास और कोचिंग सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना द्वारा रोजगार और आमदनी के अवसर उत्पन्न करके अनुसूचित जातियों के लोगों की गरीबी को तेजी से कम किया जा रहा है। अनुसूचित-जनजाति-समुदायों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान – पीएम-जनमन – शामिल हैं। विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदायों के लिए ‘विकास एवं कल्याण बोर्ड’ का गठन किया गया है।
पिछले एक दशक में सड़कों और रेल मार्गों, बंदरगाहों और logistics hubs सहित physical infrastructure के विकास पर बल दिया गया है। इससे एक ऐसा मजबूत आधार विकसित हो गया है जो आने वाले दशकों में विकास को संबल प्रदान करेगा।
सरकार ने वित्त के क्षेत्र में जिस तरह से प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है, वह एक मिसाल है। डिजिटल भुगतान के विभिन्न विकल्पों के साथ-साथ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की प्रणाली ने समावेशन को बढ़ावा दिया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को formal system में शामिल किया जा सका है। इसके कारण system में अभूतपूर्व पारदर्शिता भी आई है। इस प्रक्रिया में, कुछ वर्षों के दौरान ही हमने एक ऐसा मजबूत digital public infrastructure विकसित कर लिया है जो विश्व की श्रेष्ठतम संरचनाओं में से एक है।
Insolvency and Bankruptcy Code जैसे साहसिक उपायों के परिणामस्वरूप बैंकिंग व्यवस्था अब अच्छी स्थिति में आ गई है। इससे Scheduled Commercial बैंकों की Non-Performing Assets में काफी कमी आई है।
प्यारे देशवासियो,
वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रयासों में – Indian Penal Code, Criminal Procedure Code, और Indian Evidence Act के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है। न्यायशास्त्र की भारतीय परंपराओं पर आधारित इन नए अधिनियमों द्वारा दंड के स्थान पर न्याय प्रदान करने की भावना को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में रखा गया है। इसके अलावा, इन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर काबू पाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
इतने बड़े पैमाने पर सुधार के लिए साहसपूर्ण दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। देश में चुनावों को एक साथ सम्पन्न कराने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक, एक और ऐसा प्रयास है, जिसके द्वारा सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की व्यवस्था से शासन में निरंतरता को बढ़ावा मिल सकता है, नीति-निर्धारण से जुड़ी निष्क्रियता समाप्त की जा सकती है, संसाधनों के अन्यत्र खर्च हो जाने की संभावना कम की जा सकती है तथा वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इनके अलावा, जन-हित में अनेक अन्य लाभ भी हो सकते हैं।
हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत-भूमि महान भाषाई विविधता से समृद्ध है। इस समृद्धि को संरक्षित करने तथा इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार ने असमिया, बंगला, मराठी, पालि और प्राकृत को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता प्रदान की है। तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया भाषाएं पहले से ही इस श्रेणी में शामिल हैं। सरकार, अब इन 11 शास्त्रीय भाषाओं में शोध कार्यों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है।
मुझे प्रसन्नता है कि गुजरात के वडनगर में भारत के प्रथम Archaeological Experiential Museum का कार्य पूरा होने वाला है। यह Museum एक archaeological site से जुड़ा हुआ है। इस स्थल पर, मनुष्यों की बस्ती होने के लगभग 800 वर्ष ईसा पूर्व के साक्ष्य मिलते हैं। इस संग्रहालय में विभिन्न युगों की, अलग-अलग प्रकार की कला, शिल्प और सांस्कृतिक सामग्री को प्रदर्शित किया जाएगा।
प्यारे देशवासियो,
आज की हमारी युवा पीढ़ी कल के भारत का निर्माण करेगी। हमारी युवा पीढ़ी की प्रतिभा शिक्षा के द्वारा ही निखरती है। इसीलिए, सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया है तथा शिक्षा से संबंधित प्रत्येक मानक में सुधार के लिए समग्र प्रयास किए हैं। अब तक के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं। पिछले दशक में, शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना तथा डिजिटल समावेशन के आयामों में व्यापक बदलाव आया है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शिक्षण- माध्यम के रूप में, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विद्यार्थियों के प्रदर्शन में आशा के अनुरूप उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि महिला शिक्षकों ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दशक के दौरान नियुक्त शिक्षकों में महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत से अधिक है।
व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास का विस्तार तथा इन्हें मुख्यधारा में शामिल किया जाना स्वागत योग्य उपलब्धि है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अब हमारे युवाओं को योजनाबद्ध तरीके से Corporate Sector में internship के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
स्कूल स्तर की शिक्षा का आधार मजबूत बनाने के साथ-साथ, हमारे देश में विद्यार्जन की विभिन्न शाखाओं, विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की जा रही हैं। Intellectual Property Filings की दृष्टि से भारत का विश्व में छठा स्थान है। Global Innovation Index में भारत की ranking लगातार बेहतर हुई है। वर्ष 2020 में भारत, 48वें स्थान पर था। स्थिति में सुधार करते हुए, वर्ष 2024 में, भारत 39वें स्थान पर आ गया है।
बढ़ते आत्मविश्वास के साथ, हम अनेक प्रयासों के बल पर अत्याधुनिक अनुसंधान में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं। National Quantum Mission का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के इस नए क्षेत्र में एक जीवंत और नवीन eco-system को विकसित करना है। एक अन्य उल्लेखनीय शुरुआत National Mission on Interdisciplinary Cyber Physical System से सम्बद्ध है। इसके तहत Artificial Intelligence, Machine Learning, Robotics और Cyber Security जैसी अनेक उन्नत प्रौद्योगिकियों पर कार्य करने की योजना है। इन प्रौद्योगिकियों को, कुछ समय पहले तक futuristic समझा जाता था लेकिन अब वे तेजी से हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनती जा रही हैं।
Genome India Project प्रकृति के रहस्यों की खोज का एक रोचक अभियान तो है ही, यह भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक निर्णायक अध्याय भी है। इसके प्रमुख कार्यक्रम के तहत, इसी महीने 10 हजार भारतीयों की Genome Sequencing को अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराया गया है। ज्ञान के नए आयामों को खोलने वाली यह परियोजना bio-technology research में नए मार्ग प्रशस्त करेगी तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी मजबूत बनाएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इस महीने, ISRO ने अपने सफल Space Docking Experiment से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है। भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है।
एक राष्ट्र के रूप में हमारा बढ़ता आत्मविश्वास खेलों के क्षेत्र में भी दिखाई देता है। हमारे खिलाड़ियों ने सफलता के प्रभावशाली अध्याय रचे हैं। पिछले वर्ष, हमारे खिलाड़ियों ने ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया है। पैरालिंपिक खेलों में, हमने अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा, जिसने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। FIDE शतरंज ओलंपियाड में हमारे खिलाड़ियों ने विश्व समुदाय को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया तथा पुरुष और महिला खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते। वर्ष 2024 में डी. गुकेश ने अब तक का सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।
देश भर में जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण सुविधाओं में बहुत सुधार हुआ है और इसके बल पर हमारे खिलाड़ियों ने विजयी होकर हमें गौरवान्वित किया है। साथ ही, उन्होंने अगली पीढ़ी को और भी ऊंचे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।
विदेशों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों ने हमारी संस्कृति और सभ्यता के सबसे उज्ज्वल पक्षों को विश्व के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया है और अनेक क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से हमें गौरवान्वित किया है। उन्होंने हमेशा स्वयं को भारत की गौरवगाथा से जोड़े रखा है। जैसा कि मैंने इसी महीने, प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर कहा था, वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की सक्रिय और उत्साहपूर्ण भागीदारी पर मुझे पूरा भरोसा है।
प्यारे देशवासियो,
विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय प्रगति के बल पर हम अपना सिर ऊंचा करके भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। हमारे युवा, विशेषकर हमारी बेटियां देश के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगी। जब हम अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहे होंगे, तब के भारत का उज्ज्वल भविष्य हमारे युवाओं के सपनों में आकार ले रहा है। और जब आज के बच्चे वर्ष 2050 की 26 जनवरी के दिन राष्ट्र-ध्वज को सलामी दे रहे होंगे, तब वे अपनी अगली पीढ़ी को यह बता रहे होंगे कि हमारे देश की गौरव यात्रा, हमारे अतुलनीय संविधान से प्राप्त मार्गदर्शन के बिना संभव न हुई होती।
हमारी भावी पीढ़ियां विश्व-पटल पर स्वाधीन भारत के आदर्शों को चरितार्थ करेंगी। मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदेश का उल्लेख करना चाहूंगी। बापू ने कहा था:
“यदि स्वराज्य का अभिप्राय हमें सभ्य बनाना और हमारी सभ्यता को शुद्ध और स्थायी बनाना नहीं है, तो इसकी कोई कीमत नहीं है। हमारी सभ्यता का सार यह है कि अपने सभी मामलों में, चाहे वे राजनीतिक हों या निजी, नैतिकता को सर्वोत्तम स्थान दिया जाए।”
आइए, आज के दिन हम गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं। सत्य और अहिंसा के उनके आदर्श विश्व-समुदाय के लिए प्रासंगिक बने रहेंगे। उन्होंने हमें यह सीख भी दी थी कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सच तो यह है कि कर्तव्य ही अधिकार का वास्तविक स्रोत है। सभी के प्रति करुणा के बारे में उनकी शिक्षा को भी हम याद करें। वे कहते थे कि हमें केवल मनुष्यों के प्रति ही नहीं बल्कि अपने आस-पास के पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों और पहाड़ों के प्रति भी संवेदना का भाव रखना चाहिए।
हम सभी का कर्तव्य है कि जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट का सामना करने के प्रयासों में अपना योगदान अवश्य दें। इस संदर्भ में दो अनुकरणीय प्रयास किए गए हैं। विश्व स्तर पर भारत Mission Lifestyle for Environment नामक एक जन-आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। इसका उद्देश्य पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन में व्यक्तियों और समुदायों को अधिक सक्रिय होने के लिए प्रेरित करना है। पिछले वर्ष, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, हमने अपनी मातृ-शक्ति के साथ-साथ जीवन-दायिनी प्रकृति की पोषण शक्ति के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए, ‘एक पेड़ मां के नाम’ के संदेश के साथ एक अनूठा अभियान शुरू किया था। इस अभियान का 80 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य समय-सीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया। विश्व-समुदाय, ऐसे अभिनव प्रयासों से सीख ले सकता है। लोग, ऐसे प्रयासों को, स्वयं के आंदोलन के रूप में अपना सकते हैं।
प्यारे देशवासियो,
मैं, एक बार फिर, आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले हमारे सैनिकों के साथ-साथ सीमाओं के भीतर देश को सुरक्षित रखने वाले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी मैं बधाई देती हूं। न्यायपालिका, सिविल सेवाओं तथा विदेशों में हमारे मिशनों के सदस्यों को भी मेरी बधाई! मेरी शुभकामना है कि आप सब अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त करें।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!